गुरुवार, अप्रैल 07, 2011

पचमढी- सतपुडा का सौन्दर्य

यह लेख 25 जून 2006 को दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में छपा था।

मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है पचमढी। सतपुडा की पहाडियों में घने जंगलों के बीच कल-कल बहता पानी इसे बेहद आकर्षक बनाता है। समूचा उत्तर भारत जब गर्मियों से जूझ रहा होता है तो पचमढी सैलानियों को मानो ठण्डी छांव देता है।


पचमढी के बारे में सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह उस जगह पर स्थित है जहां उसके होने की आमतौर पर कल्पना नहीं की जाती है। यही कारण है मध्य प्रदेश उसे अपना सबसे चमकदार हीरा मानता है। मध्य भारत के पठार में इस तरह का प्राकृतिक सौन्दर्य वाकई शानदार है। लेकिन इसका यहां होना ही इस बात की सबसे बडी वजह है कि यहां पूरे सालभर में कभी भी जाया जा सकता है। पचमढी में प्रकृति के अलावा मानव की कलाकारी भी जहां-तहां बिखरी है। पुरातात्विक लिहाज से भी इस जगह का खासा महत्व है। यहां की महादेव पहाडियों की गुफाओं में रॉक पेंटिंग का अनमोल खजाना है। इन चित्रों में से ज्यादातर 500 से 800 ईस्वी के हैं लेकिन सबसे पुरानी पेंटिंग्स दस हजार साल पुरानी बताई जाती है। हरे-भरे पहाडों के बीच में से जहां-तहां कल-कल बहता पानी, अनगिनत झरने, कहीं साल के घने जंगलों के बीच में खुले खेत, बांस व जामुन के बगीचे और लाल मिट्टी पचमढी की खास पहचान है। जंगल हैं तो यहां कई तरह के जानवर व पक्षी भी देखने को मिल जाते हैं।


सन 1857 में बंगाल लांसर्स के अंग्रेज कप्तान जेम्स फोर्सिथ ने सतपुडा की पहाडियों में घूमते हुए इस जगह को देखा। उसके बाद से ही रिसॉर्ट के रूप में यहां का आधुनिक विकास शुरू हुआ। यहां के गिरजाघरों व अन्य इमारतों आदि में औपनिवेशिक दौर की छाप साफ देखी जा सकती है। लेकिन पौराणिक कहानियों में यहां का इतिहास महाभारत के कालखण्ड से है। यहां आपको कई झरने ऐसे मिल जायेंगे जिनके बारे में आपको यह बताया जायेगा कि पांडवों के वनवास के दौरान द्रौपदी ने कहां-कहां स्नान किया था।


पांडव गुफाएं: पचमढी का यह सबसे लोकप्रिय स्थान है। एक पहाडी पर बडी सी चट्टान में बनी हैं ये पांच गुफाएं जिन्हें पांच पांडवों के नाम से जाना जाता है। इन पांच मढियों से ही पचमढी को अपना यह नाम मिला है। इन गुफाओं को अब संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है।


सतपुडा की पहाडियों में सबसे ऊंचा स्थान धूपगढ है। यहां से आसपास की पहाडियों का शानदार नजारा देखने को मिलता है। यह जगह सूर्यास्त देखने के लिये बेहद शानदार मानी जाती है। पचमढी में कई खूबसूरत से झरने हैं जो आम सैलानियों के साथ-साथ रोमांच प्रेमियों के लिये भी कई अवसर उपलब्ध कराते हैं। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिये कई रास्ते भी सतपुडा की पहाडियों में ढूंढे जा सकते हैं।


दर्शनीय स्थल


पचमढी को पीने का पानी उपलब्ध कराने वाला जमुना प्रपात, चट्टानों व पत्थरों के बीच से बहता रजत प्रपात यानी बिग फॉल और उसकी तलहटी में बना अप्सरा विहार और बेहद खडी व मुश्किल उतराई वाला जलावतरण यानी (डचेस फॉल) यहां के प्रमुख प्रपातों में एक हैं। इसी तरह छोटे-छोटे कुण्ड देखें जायें तो जस्टिस विवियन बोस की पत्नी इरिन बोस द्वारा खोजा गया इरिन पूल, डचेस फॉल से ढाई किलोमीटर दूर तैरने के लिये बेहतरीन सुन्दर कुण्ड (सांडर्स पूल), त्रिधारा (पिकर्डिली सर्कस), देनवा धारा पर वनश्री विहार (पेनसी पूल) व संगम (फुलर्स खुड) प्रमुख हैं। जंगलों और पहाडियों के लिहाज से रीछगढ, हांडीखोह, पवित्र महादेव, छोटा महादेव, चौरागढ, जटाशंकर प्रमुख हैं। ये सभी स्थान मुख्य रूप से शिव की आराधना से जुडे हुए हैं। लेकिन सभी प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत हैं। इसके अलावा यहां 1875 व 1892 में बनी दो पुरानी चर्च भी हैं जिनमें उस जमाने के वास्तुशिल्प का शानदार नमूना देखने को मिलता है। इसी तरह 1862 में बने बिसन लॉज को अब एक संग्रहालय का रूप दे दिया गया है जो पचमढी की प्राकृतिक विविधता की झांकी पेश करता है।


गुफाएं


पचमढी की सतपुडा पहाडियों में कई गुफाएं हैं और उनमें से कई सदियों पुराने चित्रों को अपने में सहेजे हुए हैं। अप्सरा विहार के निकट पैदल मार्ग पर धुआंधार है जहां कुछ तीरंदाजों की सफेद तस्वीरें हैं। भारत नीर (डोरोथी डीप) में जानवरों की आकृतियां बनी हुई हैं। इनकी खुदाई 1930 में हुई थी। अस्थाचल (मोंटे रोसा) में चार गुफाएं चित्रों से सजी हैं जिनमें ज्यादातर प्राचीन रेखाकृतियां हैं। जम्बू द्वीप घाटी के उत्तर में छह गुफाएं हैं जिनमें जानवरों व इंसानों के कई चित्र हैं। इनमें से एक में तो समूचा युद्ध का दृश्य दिखाया गया है। इसके अलावा जटाशंकर के निकट हार्पर्स केव है और काइट्स क्रेग में भी कई खूबसूरत चित्र हैं जो सफेद रंग से बने हैं और लाल रंग से उनकी आउटलाइन बनाई गई है।


आसपास


पचमढी के पास ही बोरी व पचमढी वन्य जीव अभ्यारण्य है। इनमें आपको बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, भालू, चिंकारा, नीलगाय व जंगली सूअर आदि देखने को मिल सकते हैं। पचमढी से 78 किलोमीटर दूर तमिया सतपुडा पहाडियों में एक खूबसूरत रिसॉर्ट है। यहां से नर्मदा घाटी का शानदार नजारा लिया जा सकता है। चोटी से साढे तीन सौ मीटर नीचे दुधी पठार का दृश्य यहां का सबसे रोमांचक नजारा है।


कहां ठहरें: यहां ठहरने के लिये हर बजट का होटल है। आपको यहां 590 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक के किराये वाले डबल बेडरूम मिल जायेंगे। इसके अलावा हजार रुपये तक के किराये में कॉटेज भी आपको मिल सकते हैं।


कैसे जायें: सबसे निकटवर्ती हवाई अड्डा भोपाल यहां से 195 किलोमीटर दूर है। यहां के लिये दिल्ली, ग्वालियर, जबलपुर, इन्दौर व मुम्बई से सीधी उडानें हैं। रेल से जाना हो तो मुम्बई-हावडा रेलमार्ग पर पिपरिया स्टेशन पचमढी से मात्र 47 किलोमीटर दूर है। पचमढी के लिये भोपाल, होशंगाबाद, नागपुर, पिपरिया, छिंदवाडा से सीधी बसें हैं। भोपाल व पचमढी के बीच मध्य प्रदेश पर्यटन की बसें भी चलती हैं। टैक्सियां पिपरिया से भी मिल जायेंगी।

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