शुक्रवार, अप्रैल 08, 2011

डेक्कन ओडीसी- ऐशो आराम की सैर

यह लेख 25 फरवरी 2007 को दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में छपा था।

सैलानियों में बहुत कम ही लोग होते हैं जो रोमांच को तरजीह देते हैं, भले ही सफर थोडा तकलीफदेह हो। ज्यादातर लोग सुविधासम्पन्न सैर को ही पसन्द करते हैं। सुविधा चाहने वालों के लिये इसकी कोई सीमा नहीं बशर्ते वे उसकी कीमत अदा करने को तैयार हों। अब भारत में भी न केवल ऐसी सुविधाएं मिल रही हैं बल्कि उनकी कीमत चुकाने वाले पर्यटक भी सामने आ रहे हैं।

भारत में ट्रेनें आवागमन के सबसे महत्त्वपूर्ण साधन के अलावा पर्यटन का भी जरिया है। लेकिन न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में ऐसी कई ट्रेनें हैं जो खुद अपने आप में पर्यटन स्थल का दर्जा हासिल कर चुकी हैं। ऐशो-आराम की जो कल्पना किसी पांच सितारा होटल को लेकर की जाती है, यह दौडती रेलगाडी में मिलना विलासिता का चरम कहा जा सकता है। ऐसा इसलिये भी क्योंकि इन रेलगाडियों ने सफर को उसी अंदाज में फिर जिंदा किया है जिस अंदाज में कभी राजा-महाराजा किया करते थे। जाहिर है, इस सुविधा की अपनी खास कीमत है। दक्षिण अफ्रीका की ब्लू ट्रेन, यूरोप की ओरिएंटल एक्सप्रेस और दक्षिण पूर्व एशिया की ईस्टर्न व ओरिएंटल सरीखी कई ट्रेनें दुनियाभर में चलती हैं। लेकिन हमारे अपने देश में भी ऐसी एक-दो नहीं बल्कि कई ट्रेनें चलती हैं जो यात्रियों को राजसी सुख उपलब्ध कराती हैं। अगर आप खिडकी से बाहर न झांकें तो आपको कतई अहसास ही नहीं होगा कि आप एक चलती ट्रेन में हैं। इन्हीं में से एक है डेक्कन ओडीसी। महाराष्ट्र पर्यटन की ओर से चलाई जाने वाली यह पूरी तरह वातानुकूलित रेलगाडी पूरे शाही अंदाज में पर्यटकों को महाराष्ट्र की सैर कराती है। इस ठाट-बाट का अहसास आपको उसी पल से हो जायेगा जब ट्रेन में बैठने के लिये पहुंचने पर आपका स्वागत माला पहनाकर और तिलक लगाकर किया जायेगा। इतना ही नहीं, सफर पूरा होने पर यादगार के तौर पर आपको आपका एक फोटो भी दिया जाता है।

सीजन के महीनों में हर बुधवार की शाम को मुम्बई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन से रवाना होने वाली डेक्कन ओडीसी महाराष्ट्र के जिन इलाको की सैर कराती है वे हैं- मुम्बई, गनपतिपुले, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, तरकारली, सावंतवाडी, गोवा, पुणे, औरंगाबाद, अजंता-एलोरा व नासिक। ट्रेन के डिब्बों के नाम महाराष्ट्र के प्रमुख स्थलों और किलों के नाम पर रखे गये हैं। इस तरह यह ट्रेन न केवल शाही लुत्फ देती है बल्कि किलों से लेकर समुद्र तटों और प्राचीन गुफाओं तक की सैर कराती है। यह सैर भी उतनी ही शान से होती है जितनी कि आपकी ट्रेन की सवारी।

हर दिन, नई जगह

डेक्कन ओडीसी बुधवार की शाम को मुम्बई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से चलती है। बृहस्पतिवार की सवेरे यह भोके रेलवे स्टेशन पहुंचती है। यहां से यात्रियों को बैकवाटर्स का मजा दिलाने के लिये एसी बस से राय भटगांव जेटी ले जाया जाता है। बैकवाटर्स में जयगढ पहुंचा जाता है और फिर बस में ही कोंकण तट के सर्वश्रेष्ठ बीच में से एक पर ले जाया जाता है। गणपतिपुले बीच रिसॉर्ट पर सुकून से दोपहर का भोजन होता है। दोपहर बाद बस से रत्नागिरी शहर ले जाया जाता है जहां रत्नादुर्ग किला देखने के अलावा आप खरीदारी भी कर सकते हैं। जो ट्रेन सवेरे आपने भोके स्टेशन पर छोडी थी, वह अब रत्नागिरी से आपको मिल जाती है। कुछ-कुछ इसी तरह आपको इस सफर में रोजाना एक नई जगह देखने को मिल जाती है।

तीसरे दिन सिंधुदुर्ग, तरकारली (यहां फिर से बैकवाटर्स का मजा) और सावंतवाडी, चौथे दिन गोवा (ओल्ड गोवा की चर्च, फोर्ट अगोडा बीच रिसॉर्ट में लंच और पणजी में दोना पोला की सैर), पांचवें दिन पुणे, छठे दिन औरंगाबाद, सातवें दिन अजंता की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं व नासिक घूमते हुए आठवें दिन (यानी अगले बुधवार) की सुबह फिर से सीएसटी मुम्बई पहुंच जाते हैं। इसी दिन शाम को ट्रेन फिर से यात्रियों की नई खेप लेकर इसी सफर पर निकल जाती है। इस सफर में दोपहर का भोजन आपका हमेशा उस जगह पर होता है जहां आप घूमने जाते हैं और रात्रि का खाना हमेशा ट्रेन पर होता है। यानी दोनों मजे भरपूर।

राजसी है तो महंगा तो होगा ही

राजसी सुविधाएं मिलेंगी तो जाहिर है उनकी कीमत भी होगी। डेक्कन ओडीसी हर सीजन में सितम्बर से अगले साल अप्रैल तक कुल आठ महीने चलती है। यानी मई, जून, जुलाई व अगस्त के महीनों में यह रख-रखाव के लिहाज से बंद रहती है। यानी इसका लुत्फ आप गर्मियों की छुट्टियों में नहीं उठा सकते। लेकिन इस सीजन में आपके पास दो महीने उपलब्ध हैं। मजेदार बात यह है कि सीजन के पहले व आखिरी महीने यानी सितम्बर व अप्रैल में यात्रा की दरें कम होती हैं और अक्टूबर से मार्च तक थोडी ज्यादा। वैसे तो कुल सफर सात दिन का होता है लेकिन सीटों की उपलब्धता के हिसाब से इसे मुम्बई से गोवा या गोवा से मुम्बई के तीन दिनों के सफर के लिये भी बुक कराया जा सकता है।

इस सीजन (2007) में मार्च के लिये इसका किराया प्रति व्यक्ति लगभग 21300 रुपये रोजाना की दर से है। डबल बेडरूम में यह घटकर 15400 रुपये प्रति व्यक्ति रोजाना और ट्रिपल बेडरूम में यह और घटकर 12400 रुपये प्रति व्यक्ति रोजाना हो जायेगी। प्रेसिडेंशियल स्यूट के लिये किराया 30800 रुपये प्रति व्यक्ति रोजाना है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों का कोई किराया नहीं है और 12 साल तक के बच्चों का आधा किराया है। अब आप तीन या सात जितने दिन का कार्यक्रम बनायें, उस हिसाब से प्रति व्यक्ति कुल खर्च निकाल सकते हैं। अप्रैल के महीने में यह किराया कम होकर सिंगल, डबल, ट्रिपल व प्रेसिडेंशियल स्यूट के लिये क्रमशः 17400 रुपये, 13000 रुपये, 10600 रुपये और 24200 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन हो जायेगा। किराये में यात्रा, भोजन, साइटसीन, बोट राइड, स्मारकों, पार्कों, महलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रवेश शुल्क आदि का खर्चा शामिल है। हालांकि वीडियो कैमरा शुल्क, मदिरा, लांड्री व अन्य व्यक्तिगत किस्म के खर्चों के लिये अपनी जेब से पैसा देना होगा।

हर ऐशो-आराम हाजिर है जनाब!

डेक्कन ओडीसी में 11 डिब्बों में कुल 44 स्यूट हैं। इनके अलावा दो डिब्बों में चार प्रेसिडेंशियल स्यूट भी हैं। खाना खाने के लिये दो डिब्बों में रेस्तरां है। यहां आपको इंडियन, कांटिनेंटल, मराठी, चाइनीज व गोवा रेंज का भोजन मिलेगा। वैसे मौसम के हिसाब से मीनू भी बदलता रहता है। एक डिब्बा पूरी तरह बार में तब्दील कर दिया गया है जहां हर किस्म की हार्ड व सॉफ्ट ड्रिंक का आनंद लिया जा सकता है। इसके अलावा एक डिब्बा कांफ्रेंसिंग के लिये है जिसमें बिजनेस सेंटर भी है। यहां एसटीडी, आइएसडी, इंटरनेट व फैक्स सुविधा उपलब्ध है। यानी चलती ट्रेन में भी आप पूरी दुनिया के सम्पर्क में रह सकते हैं। जरुरत पडने पर आप चाहें तो मोबाइल फोन भी आपको उपलब्ध कराया जा सकता है। इतना ही नहीं, रोजाना आपको अपने केबिन में अखबार व मैगजीन भी मिलते रहेंगे। एलसीडी टीवी, प्लाज्मा टीवी और डिस्क प्लेयर भी ट्रेन में लगे हैं। स्पा के प्रति दुनियाभर में बढते रुझान के चलते एक डिब्बा पूरी तरह इसके लिये तैयार किया गया है, जहां जाकर यात्री अपनी थकान मिटा सकते हैं। यहां स्टीम, ब्यूटी पार्लर, जिम व आयुर्वेदिक स्पा उपलब्ध हैं। वैसे तबियत नासाज हो जाये तो अगले ही स्टेशन पर डाक्टर भी आपकी सेहत की फिक्र करता नजर आयेगा। गाडी में इसके अलावा एक डिब्बा स्टाफ के लिये और दो बिजली जनरेटरों के लिये भी हैं। ट्रेन चूंकि पूरी जुडी होती है इसलिये जाहिर है, आप जब चाहे, जिस चीज का आनंद उठा सकते हैं। चौबीस घण्टे की रूम सर्विस तो उपलब्ध है ही।

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