मंगलवार, अप्रैल 12, 2011

जब सफर पर बाइक हो हमसफर

यह लेख 29 अप्रैल 2007 को दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में छपा था।

रोमांच की कोई वजह नहीं होती, वह बस रगों में दौडता है। दुर्गम पहाडों पर दुपहिया लेकर चढने वालों के सिर पर भी ऐसा ही रोमांच सवार होता है। उसे केवल अनुभव किया जा सकता है। आशुतोष वर्मा का आलेख:

यात्रा करने और प्रकृति के साथ होने में वो मजा नहीं जो यात्रा करते वक्त प्रकृति के साथ होने में है। यानी जब आप चलें तो आपके साथ पेड-पौधे, पहाड, हवा, बादल सब चलें। ‘यही है यात्रा करने का असली आनंद’ यह कहना है चंदन लाहिडी का जो मोटर बाइक पर अपना सफर तय करते हैं। चंदन लाहिडी के नाम पर दो विश्व रिकार्ड भी दर्ज हैं। चंदन ने 2 सितम्बर 2003 को अकेले 14 घण्टे 44 मिनट में दुनिया के तीन सबसे ऊंचे दर्रों को पार किया। अगले ही साल 2004 में की जुलाई में चंदन में चंदन और उनके पांच साथियों की टीम ने इन दर्रों- मारस्मिक ला, खारदूंग-ला, तांगलांग-ला और चांग ला की संख्या चार करके नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया। इस टीम ने 23 घण्टे 25 मिनट में बर्फीले दर्रों पर 638 किलोमीटर का सफर तय किया। इसमें सबसे जोरदार बात तो यह थी कि यह कीर्तिमान पारम्परिक डेढ सौ सीसी की बाइकों पर बनाया गया, किसी ज्यादा ताकतवर बाइक पर नहीं। अब चंदन इस साल एक नये गिनीज रिकॉर्ड को कायम करने की राह हैं और वह है माउंट एवरेस्ट की चढाई पर 23 हजार फुट की ऊंचाई तक मोटर वाहन (एटीवी- आल तराई व्हीकल) लेकर जाने का। चंदन के अनुसार सफर का सबसे अच्छा साधन मोटर-बाइक है क्योंकि मोटर-बाइक आपके नियंत्रण में है तो आप प्रकृति को अपना साथी समझते हैं, और आप नये रास्तों की खोज भी कर सकते हैं। वैसे भी चंदन का सुझाव है कि भारत के लोगों को विश्व यात्रा से पहले भारत यात्रा करनी चाहिये। और भारत में बाइक से घूमने वालों के लिये बहुत कुछ है। चंदन ने बताया कि मोटर बाइक पर यात्रा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे मोटर-बाइक पूरी तरह ठीक हो, टूल बॉक्स साथ रखें, पेट्रोल साथ रखें, इंजन सही रखें। सफर पर जाने से पहले अपनी बाइक को ढंग से चलाकर देखें और सबसे जरूरी सफर में किसी के साथ प्रतिस्पर्धा ना करें। उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग सफर के लिये मोटर-बाइक का हुलिया बदल देते हैं, पर इसकी कोई जरुरत नहीं है। ज्यादा से ज्यादा आप चेन स्प्रोकेट बदलवा लें, इंजन की ट्यूनिंग करवा लें, गेयर दुरुस्त रखें, फिल्टर, टायर आदि बदलें या ठीक करवायें। इसमें दो हजार से तीन हजार तक का खर्चा होगा। थोडा-बहुत सामान (जैसे कि पंक्चर वगैरा निकालने का या स्पेयर प्लग, बल्ब आदि) साथ में रखना होगा। आप किसी भी मोटर बाइक के साथ सफर कर सकते हैं। बस उसकी हालत ठीक हो। यदि अपनी मोटर-बाइक मॉडिफाई करवाना चाहते हैं तो आप दिल्ली में ओखला फेज-2 में स्पोर्ट मोटो से, झंडेवालान से और करोल बाग से करवा सकते हैं। इसी तरह के मैकेनिक हर शहर में मिल जायेंगे। वैसे लोग 17 हजार फुट तक की चढाई आम स्कूटर पर कर लेते हैं, बस हिम्मत होनी चाहिये। चंदन ने बताया कि सफर का सबसे अच्छा रूट दिल्ली-लेह-दिल्ली है जिसे आप 12 दिन में पूरा कर सकते हैं। इसमें आपका मात्र एक हजार से पंद्रह सौ रुपये का खर्च वाहन का होगा। कुछ और रूट हैं जहां लोग जा सकते हैं, जैसे गोवा से बेंगलूर, मुम्बई से गोवा, दिल्ली से राजस्थान, दिल्ली से सिक्किम, कन्याकुमारी से भूटान और लेह से अरुणाचल प्रदेश। मोटर-बाइक पर सफर करने का सही मौसम जून से दिसम्बर तक चलता है, तो इंतजार किस बात का, बाइक उठाइये और ये ना सोचें कि कहां जाना है, बस ये सोचें कि सफर करना है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. भाई, नीरज
    चंदन के पास तो 150 सी सी की बाइक थी,
    हमारे पास तो 135 सी सी की ही बाइक थी/है,
    चंदन व उसका ग्रुप बाइक पर अकेले-अकेले थे, और हम एक बाइक पर दो-दो थे।

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  2. Neeraj bhai, aapke blog se mulakaat hindi creative writing ke assingment ke chakkar m research karte karte hui. aur kasam se sayad saari post pad daali aapki. aaj hi is waale blog ke baare m pata chala.
    bike par safar karne ka man to mera b h par mere kamine dost koi tayiaar hi nahi hota. saale sab kehte h karcha tu de diyo.. hahaha..
    par kabhi na kabhi to ye yatra puri karunga hi.

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  3. is waale post se pata chala. http://neerajjaatji.blogspot.com/search/label/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A4

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  4. मेरे पास भी इक बाइक थी LML 110 cc की जो मेरे पापा ने दान कर दी कोई दुसरी बाईक लूं तो मै भी निकलूं इस अनोखे सफर पे ....

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