यह लेख दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में 28 अक्टूबर 2007 को प्रकाशित हुआ था।
ऊंची चोटियों को अब तक कदमों से नापा जाता था लेकिन अब इंसान ने रास्ते बना लिये हैं और वाहनों से ऊंचाई छूने लगा है। लेकिन रास्ते बन जाने के बाद भी सफर आसान नहीं हो जाता। खासकर यदि आप लद्दाख के रास्ते पर बाइक से जा रहे हों। लम्बा सफर, प्रतिकूल मौसम, ऊंचाई वाला इलाका, मशीन से तालमेल, ये सब बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। लद्दाख का इलाका रोमांचप्रेमी बाइक चालकों के लिये एक ऐसा मील का पत्थर है जिसे छूने की तमन्ना सभी रखते हैं। हर साल अप्रैल से सितम्बर तक दुनियाभर से लोग यहां अपने रोमांच को उडान देने आते हैं। आखिर यही पर दुनिया की सबसे ऊंची सडक खारदूंगला में है। तमाम मुश्किलों को पार करने वाले इन सवारों को प्रकृति के जो रूप यहां देखने को मिलते हैं और जिन अनुभवों से वे रूबरू होते हैं, वे ही उनकी पूंजी बन जाते हैं। आम लोग इन अनुभवों से वंचित ही रहते हैं। एक झलक ऐसे ही एक अनुभव की जो दिल्ली के नौजवान राहुल चौधरी ने लिया।
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इस लेख को पढकर ही तो मुझे भी सनक सवार हुई थी,
जवाब देंहटाएंऔर देख लो मैं तो बाइक से यहाँ घूम भी आया, क्यों है ना,
सारे के सारे लेख संग्रहणीय और पर्यटन के लिये परम उपयोगी।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंneeraj ji muje apka ghoomne ka shokh bhut acha laga or main kabi moka mila to aapke sath ghoomna chahta hun muje bht khusi milegi aapke sath ghoomne main or apka lekh humari ghoomne main bhut madad b karta hn or ap muje ye batayen ki kaag rishi jo himalya par rehte hn wahan tak kaise paucha ja sakta hn. S.P. SINGH JAAT(PRESS)
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