शुक्रवार, अप्रैल 15, 2011

प्रकृति का मनमोहक उपहार- नेपाल

यह लेख दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में 27 मई 2007 को प्रकाशित हुआ था।

नेपाल की खूबसूरत फिजाओं का हर नजारा दिल को छू लेने वाला है। हमारा यह पडोसी देश भौगोलिक व सांस्कृतिक लिहाज से भारत से काफी साझीदारी रखता है। पिछला लम्बा अरसा वहां राजनीतिक उठापटक का रहा है। लेकिन अब अमन की नई उम्मीदों के बीच एवरेस्ट की इस धरती का सौंदर्य मानो सबको फिर से अपनी ओर बुला रहा है। इसकी बेमिसाल खूबसूरती को बयां कर रहे हैं मुहम्मद कामिल खां:

हिमालय की गोद में बसा छोटा देश नेपाल। पूरी दुनिया में खूबसूरती व प्राकृतिक सौंदर्य में अग्रणी स्थान रखता है। सैर-सपाटे के लिये सैलानियों की यह प्रमुख पसंद है। खूबसूरत फिजाएं, अनगिनत चमकती पर्वत श्रेणियां, हरे-भरे जंगल, नदियां, झीलें, झरने और सजी-धजी हरियाली बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर लुभा लेती है। यहां पर कुदरत हर शय पर मेहरबान है जिससे यहां के हसीन नजारे हर किसी को मोह लेते हैं।

कुदरती खूबसूरती का दीदार होने पर हर नजारा दिल को तरोताजा कर देता है। प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत नेपाल में मन्दिरों, स्तूपों, पैगोडा और आस्था के कई अन्य स्थानों के अलावा ऐतिहासिक इमारतें भी हैं। नेपाल में ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी 8848 मीटर की माउंट एवरेस्ट है, जिसके साथ अदभुत और रोमांचकारी बर्फ से ढकी पर्वत मालाएं हैं। दुनिया के दस सबसे ऊंचे शिखरों में से आठ नेपाल में हैं। एवरेस्ट के अलावा कंचनजंगा, लाहोत्से, मकालू, चू-ओपू, धौलागिरी, मांसलू और अन्नपूर्णा- इन सभी की ऊंचाई 8000 मीटर से ज्यादा है। बादल तो यों मचलते हैं, जैसे मस्ती के आलम में नृत्य कर रहे हों। जब ये पर्वत मालाओं से टकराते हैं तो मानो मचलते हुए अठखेलियां कर रहे होते हैं और आसपास फैली हरियाली प्रकृति का ही तो करिश्मा है। मौसम इतना खुशगवार कि तबियत बाग-बाग हो जाये।

नेपाल भौगोलिक दृष्टि से काफी समृद्ध है। इसके उत्तर में तिब्बत और चीन, पूर्व में सिक्किम, दक्षिण में भारत के उत्तर प्रदेश व बिहार और पश्चिम में उत्तराखण्ड राज्यों की सीमाएं लगती हैं। वैसे तो नेपाल का हर स्थान मोहक, आकर्षक और मनभावक है, लेकिन फिर भी कुछ स्थानों के खास महत्व हैं, जो पर्यटकों को ज्यादा आकर्षित करते हैं या यों कहें कि यहां गये बिना नेपाल का पर्यटन अधूरा सा रह जाता है।

काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू विश्व के प्राचीन नगरों में से एक है। इसका पुराना नाम कांतीपुर था। यह काफी खूबसूरत शहर है। यहां खूब चहल-पहल रहती है। हवाई अड्डा है। छोटे-बडे काफी होटल हैं। कई फाइव स्टार होटल हैं। बाजार अच्छा है। न्यू रोड पर मशहूर अत्याधुनिक किस्म का बाजार है। कई मॉल भी हैं जहां पर अच्छी-खासी खरीदारी की जा सकती है। विदेशी सामानों की यहां भरमार है। काठमांडू में ही थामेल मशहूर बाजार है, जहां सभी तरह के सामानों के अलावा छोटे-बडे कई रेस्तरां हैं, जहां पर आपको मनपसन्द भोजन मिल सकता है। इसी क्षेत्र में ‘नेपाली चुलू’ अर्थात नेपाली भोजन का स्वाद गीत-संगीत-नृत्य के साथ लिया जा सकता है, लेकिन खालिस नेपाली अंदाज में।

पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध भव्य मन्दिर काठमांडू में ही है, जो बागमती के तट पर स्थित है। यहां श्रद्धालुओं की हमेशा भीड रहती है। काफी लम्बे-चौडे भूभाग में स्थित भगवान शिव के मन्दिर के अलावा अन्य कई मन्दिर भी दर्शनीय हैं। काठमांडू में ही भगवान बुद्ध से सम्बन्धित दो प्रमुख स्तूप हैं- बौद्धनाथ और स्वयंभूनाथ स्तूप। ये दोनों काफी भूभाग में ऊंचाई पर हैं, जहां लोग दर्शन के लिये जाते हैं। वैसे भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी भी नेपाल में ही है, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है।

काठमांडू की घाटी में तीन प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं- काठमांडू दरबार स्क्वायर, पाटन और भक्तपुर दरबार स्क्वायर। भक्तपुर में काफी लम्बे चौडे क्षेत्र में कई भवनों, मंदिरों आदि में कलात्मक नमूना देखा जा सकता है। यहां पर पचपन खिडकियों का सुन्दर भवन कलात्मक लकडी का अदभुत नमूना पेश करता है।

नागरकोट: यह काठमांडू से 32 किलोमीटर की दूरी पर काफी ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान का खास महत्व इसलिये है कि यहां से प्रातःकाल सूरज निकलने का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। इसके लिये पर्यटक रात में ही नगरकोट पहुंच जाते हैं। ठहरने के लिये कई होटल आदि हैं। यहां पर अन्य स्थानों की अपेक्षा कुछ अधिक ही ठण्ड पडती है।

मनोकामना देवी मन्दिर: यह गोरखा कस्बे से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका दो दृष्टि से महत्व है- एक मन्दिर में दर्शन करके मन्नत मांगना और दूसरा, 1302 मीटर के पहाड पर जाने के लिये ‘केबिल कार’। यहां पर नदी और झरने के दृश्य का भी आनन्द लिया जा सकता है।

पोखरा: यह नेपाल का दूसरा बडा पर्यटक स्थल है जो काठमांडू से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नेपाल के मध्य भाग में स्थित है। यहां पर प्रकृति कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। यहां से हिमालय पर्वत श्रेणियों को अपेक्षाकृत नजदीक से देखा जा सकता है। अन्नपूर्णा, धौलागिरी और मांसलू चोटियों को यहां निकट से देखा जा सकता है। यह कुदरत का अदभुत करिश्मा है कि 800 मीटर की ऊंचाई पर बसे पोखरा से 8000 मीटर से भी ऊंचे पहाड सिर्फ 25-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पहाडों के अलावा झीलें, नदियां, झरनों के साथ-साथ मन्दिर, स्तूप और म्यूजियम भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां भी हवाई अड्डा है। सडकें अच्छी हैं। बाजार भीस सजे-धजे रहते हैं। शॉपिंग का भरपूर मजा लिया जा सकता है। अब तो एक कैसिनो भी खुल गया है।

पहाडों की वादियों से सजे शहर में माछेपूछे (फिश टेल) के साथ-साथ पहाडों की छाया जब झीलों के लहराते पानी पर पडती है तो उस समय का दृश्य ऐसा लगता है मानो किसी कलाकार ने अपनी कला को अंजाम दे दिया है। यहां पर भी सूर्य के उदय के दर्शन के लिये लोग सारंगकोट में 1591 मीटर की ऊंचाई पर अलस्सुबह ही पहुंच जाते हैं। जब सूरज की पहली किरण बर्फ जमे पहाडों पर पडती है तो उस समय का सुनहरापन पहाड का श्रृंगार कर देता है और पर्यटकों का दिल वाह-वाह कह उठता है। प्रकृति का यह अदभुत दृश्य कभी न भूलने वाला बन जाता है।

पोखरा को झीलों का शहर कहते हैं। पोखरा में आठ झीलें हैं- फेवा, बनगास, रूपा, मैदी, दीपपांग, गुंडे, माल्दी और खास्त। फेवा झील में तो बाराही मन्दिर भी है, जहां लोग दर्शन करने जाते हैं। इसमें बोटिंग का मजा लिया जा सकता है। इसके अलावा बर्ड वाचिंग, स्विमिंग, सनबाथिंग आदि को अपना बना सकते हैं। यहां पर काली-गंडक नदी में विश्व में सबसे संकरी गहराई वाला स्थान है। कई नदियां भी हैं। एक है सेती नदी! नेपाली में सेती का अर्थ सफेद! अर्थात सफेद दूधिया पानी की नदी! खास बात- यह नदी कहीं अंडरग्राउंड तो कहीं सिर्फ दो मीटर चौडी और कहीं-कहीं यह 40 मीटर गहरी है। महेन्द्र पुल, के.एल. सिंह ब्रिज, रामघाट, पृथ्वी चौक से इस नदी का उफान देखा जा सकता है।

झीलों, नदियों के साथ देवी फाल अर्थात मनमोहक झरना दिलोदिमाग को ताजगी देता है। यहीं पर गुप्तेश्वर महादेव गुफा के अन्दर शिवजी का मन्दिर दर्शनीय है। इनके अलावा गुफाएं भी आनंदित करती हैं। पोखरा में इंटरनेशनल म्यूजियम और गोरखा मेमोरियल म्यूजियम अपनी अपनी कहानी बताकर इतिहास से परिचित कराते हैं। तितली म्यूजियम का भी मजा लिया जा सकता है। यहां पर प्रसिद्ध विंध्यवासिनी मन्दिर पहाडी पर स्थित है। कुछ बौद्ध स्तूप भी दर्शनीय हैं। भद्रकाली मन्दिर में भी श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं।

नेपाल में कई राष्ट्रीय पार्क भी हैं। जहां जंगलों में विभिन्न प्रकार के जानवरों से मिला जा सकता है। मुख्य रूप से चितवन नेशनल पार्क, एवरेस्ट नेशनल पार्क, बरदिया नेशनल पार्क, लांगटांग नेशनल पार्क, शिवपुरी नेशनल पार्क हैं, जो नेपाल की 19.42 प्रतिशत भूमि को घेरे हुए हैं। नेपाल को चिडियों से प्यार है तभी तो यहां 848 किस्म की चिडियां पाई जाती हैं। ‘मोनल’ यहां का राष्ट्रीय पक्षी है। रंग-बिरंगी तितलियां भी खूब मिलती हैं। तितलियों की 300 किस्में यहां पाई जाती हैं। यहां से वोदीपुर, लेखनाथ, लुम्बिनी, तानसेन, जामसाम और मानंग जा सकते हैं।

वैसे नेपाल में विश्व से आने वाले पर्यटकों की सर्वाधिक संख्या भारतीयों की होती है, फिर जापान, मलेशिया, सिंगापुर, कोरिया, बांग्लादेश, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैण्ड, इटली आदि देशों से भी पर्यटक आते हैं।

नेपाल की राष्ट्रीय भाषा नेपाली है लेकिन अंग्रेजी और हिन्दी में बातचीत की जा सकती है। यहां नेपाली रुपया चलता है। भारतीय एक सौ रुपया नेपाल के 160 रुपये के बराबर होता है। नेपाल में कैसिनो अर्थात मनोरंजन जुआघर का आनन्द लिया जा सकता है। काठमांडू में सात और पोखरा में एक कैसिनो है। यहां पर विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां और कलाएं विकसित हैं। फिल्मों की शूटिंग लायक कई स्थान हैं।

खास बातें

भारतीयों को नेपाल जाने के लिये किसी वीजा की जरुरत नहीं होती। उन्हें वहां जाने के लिये एक फोटो पहचान पत्र जरूरी होता है जो पासपोर्ट भी हो सकता है और पासपोर्ट भी न हो तो मतदाता पहचान पत्र या अन्य किसी सरकारी फोटो पहचान पत्र से भी काम चलाया जा सकता है।

नेपाल का पर्यटन उद्योग नेपाल की आय का प्रमुख स्रोत माना जाता है। वर्ष 2007 में पोखरा में 28 प्रतिशत पर्यटकों की वृद्धि से नेपाल पर्यटन बोर्ड उत्साहित है और उसे अच्छी सम्भावनाएं नजर आ रही हैं तभी तो ‘विजिट पोखरा-2007’ नेपाल का नया टूरिज्म फेस्टिवल है। इसके अन्तर्गत पांच घण्टों से लेकर पांच दिनों तक का पैकेज बनाया गया है। इसके लिये कई सुविधाओं और छूट की व्यवस्था है। इसके लिये नेपाल टूरिज्म बोर्ड से सम्पर्क किया जा सकता है।

कैसे जायें

वायु मार्ग द्वारा: दिल्ली और वाराणसी के अलावा भैरहवा से वायुयान की सुविधा। काठमांडू से पोखरा के लिये कई हवाई उडान! काठमांडू से पोखरा हवाई यात्रा समय 20-25 मिनट।

सडक मार्ग: उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती स्थानों से काठमांडू और पोखरा के लिये बस आदि की सुविधाएं। विशेष रूप से भारतीय सीमा सोनौली के भैरहवा से सुविधा।

कम छुट्टियां हों तो भी नेपाल में पूरा मजा लिया जा सकता है क्योंकि एक साथ बहुत कुछ देखने को यहां मिल सकता है। इसके अलावा पैराग्लाइडिंग, अल्ट्रा लाइट, माउंटेन फ्लाइट, हेली सर्विस, माउंटेन बाइकिंग, गोल्फ, राफ्टिंग, मेडीटेशन, योगा, मसाज, आयुर्वेद, बटरफ्लाई आदि का भी भरपूर आनंद लिया जा सकता है।


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