शुक्रवार, अप्रैल 08, 2011

केरल- प्रकृति का नायाब तोहफा

यह लेख 25 फरवरी 2007 को दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में छपा था।

केरल की समृद्ध संस्कृति, आयुर्वेद उपचार और पर्यावरण के लिये प्रतिबद्धता, ऐसी कई बातें हैं जो दक्षिण भारत के इस राज्य को अनुपम करार देती है। यहां की खूबसूरती तो ऐसी है ही कि इसे ईश्वर का अपना देश कहा जाता है। प्रकृति की इस अनमोल भेंट का विवरण दे रही हैं रचना गुप्ता:

रोजमर्रा की दौडभाग वाली जिंदगी की थकान मिटानी है या फिर शादी के बंधन में बंधने के बाद भविष्य के सपने सजाने हैं, तो केरल आइये। जन्नत सरीखी इस जगह के अनुभव किसी को भी ताउम्र याद रहेंगे। समंदर का जो रूप केरल में है वह शायद हिंदुस्तान के किसी हिस्से में ना हो। हरियाली ऐसी कि पहाडों को भी मात दे जाये। यहां के लोग भले ही हिंदी-अंग्रेजी कम समझें पर उनकी मेहमाननवाजी यह अहसास नहीं होने देगी कि आप घर से बाहर हैं। बस, सिर्फ थोडी योजना पहले बना लें, फिर देखिये विदेशों की सैर का अनुभव भी इन यादगार लम्हों के सामने फीका पड जायेगा।

भारत के आखिरी सिरे पर केरल में यूं तो बहुत कुछ है परन्तु तीन चीजें आपकी यात्रा को यादगार बनाएंगी। पहला कोवलम बीच, दूसरा बैकवाटर्स और तीसरी आयुर्वेद स्वास्थ्य पद्धति से तरोताजा किये जाने की कला।

कोवलम

केरल भ्रमण की शुरूआत करें राजधानी तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) से महज 16 किलोमीटर दूर स्थित कोवलम बीच से। कोवलम को भारत के सबसे सुंदर बीचों में से एक माना जाता है। लाइट हाउस बीच, इवनिंग बीच और समुद्र बीच, साथ-साथ हैं। चूंकि इन बीच पर गहराई एकदम नहीं है लिहाजा गार्ड की निगरानी में पानी के अंदर अठखेलियां करने की यह बेहतरीन जगह है।

कोवलम के यह बीच देश के सबसे अच्छे बीच में गिने जाते हैं। यहां आराम करने के लिये छतरी व चारपाई लेते हुए मोलभाव जरूर कर लें। कोवलम में पांच सितारा होटलों से लेकर सामान्य श्रेणी के अच्छे होटल हैं। इसलिये यात्रा का कार्यक्रम बनाने से पहले केरल पर्यटन की वेबसाइट पर अपने बजट के मुताबिक पहले से ही बुकिंग जरूर करा लें। कोवलम में रहते हुए ही आप त्रिवेंद्रम या तिरुवनंतपुरम शहर को घूमने जा सकते हैं।

आयुर्वेद मसाज

कोवलम की दिलचस्प फिजाओं में स्वास्थ्य लाभ भी। यानी एक पंथ दो काज। कोवलम में आयुर्वेद पद्धति से मसाज काफी प्रसिद्ध है। लेकिन मसाज के लिये केवल उन्हीं सेंटर पर जाना चाहिये जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। दरअसल यहां पर नारियल के तेल में विभिन्न जडी-बूटियों को मिलाकर शरीर की मालिश की जाती है। खासकर हड्डियों से सम्बन्धित रोगों के लिये यह बढिया उपचार है। मसाज के लिये दवाओं के हिसाब से कीमतें तय हैं, जिनमें 300 रुपये से शुरू होकर पांच हजार रुपये प्रति घंटा तक लिया जाता है।

बैकवाटर्स

केरल में बैकवाटर्स (यानी समुद्र का वह पानी जो लौटकर जमीन की तरफ आ जाता है) देखने लायक है। हरे-भरे धान के खेतों के बीच ऊंचे नारियल के पेड और साथ में बैकवाटर्स। यहां कुल मिलाकर करीब 900 किलोमीटर का बैकवाटर्स का नेटवर्क है। अल्लपुषा (एलेप्पी), कोट्टायम व कोच्ची बैकवाटर्स के प्रमुख केंद्र हैं। एलेप्पी तो सबसे खास है। मीलों लम्बे फैले बैकवाटर्स में एक से एक बढिया हाउसबोट हैं जिनमें पांच सितारा होटलों की सी सुविधाएं हैं। बांस से बनी इन हाउसबोट्स में परिवार सहित एक रात गुजारी जा सकती है। करीब सात हजार से लेकर चौदह हजार रुपये में दो कमरों वाली अच्छी हाउसबोट आपको पानी के भीतर धीमे-धीमे घुमाती रहेगी। वहीं दो वक्त खाना और सुबह का नाश्ता इसी में दिया जायेगा। लेकिन रात को ना रहना हो तो एक घंटे के 300 रुपये से लेकर एक ‘फेरी’ भी की जा सकती है।

कोच्चि

अरब सागर के तट पर कोच्चि (एर्णाकुलम) बसा है। यह केरल का सबसे बडा व्यावसायिक केंद्र है और विश्व का सबसे बडा प्राकृतिक हार्बर भी यही है। कोच्चि के लिये एलेप्पी से कार के द्वारा जाया जा सकता है। बाकी देश से भी यह जगह रेल व हवाई सेवा से सीधे जुडी है। हाउसबोट का आप मजा ले चुके हों तो यहां मोटरबोट पर जरूर जायें। पुर्तगालियों ने ‘फोर्ट कोच्चि’ गांव को बसाया था। हार्बर हाउस और कई अन्य जगहों को आप मोटरबोट से ही देख सकते हैं। डॉल्फिन को आपकी बोट में आपके साथ रेस लगाते देख चौंकियेगा नहीं। डॉल्फिन यहां घूमती रहती है। ‘डच पैलेस’ देखने लायक है जिसे पुर्तगालियों ने 1557 में बनाकर केरल के राजा को सौंपा था।

क्यों है खास केरल

केरल हिंदुस्तान का सबसे साफ सुथरा राज्य है। (इसका अहसास आपको रेलवे स्टेशनों से भी हो जायेगा) यहां सौ प्रतिशत साक्षरता दर है। बेहतरीन कानून व्यवस्था और विश्व की सबसे बढिया चिकित्सा सुविधाओं में से एक यहां है। यहां सबसे कम मृत्यु दर है। हिंदु, ईसाई व मुस्लिम सभी धर्म यहां बसते हैं। यहां समुद्र तल से निचली सतह पर खेती की जाती है। है ना खास बात!

खाने-ले जाने को बहुत कुछ

शापिंग: केरल में सिर्फ खानपान ही सस्ता नहीं है बल्कि यहां से बढिया खरीदारी भी की जा सकती है। यहां से आप काजू ले ही जा सकते हैं। काजू का आकार इसकी कीमत तय करता है। लेकिन सबसे बढिया काजू 350 रुपये किलो से महंगा नहीं। केरल मसालों का भी सबसे बढिया केंद्र है। दालचीनी व इलायची काफी सस्ती व उत्तम किस्म की है। बाकी मसालें भी ले जाना न भूलें। साडियों की तो यहां भरमार है। बजट के हिसाब से सिल्क व कॉटन की हर वैरायटी मिलेगी। इन साडियों की कीमत उत्तरी भारत के बाजारों से काफी कम है।

खाना: यदि आप शाकाहारी हैं तो भी केरल में दिक्कत नहीं और मांसाहारी हैं तो भी वाह-वाह। सी फूड के शौकीन अपनी पसंद का हर किस्म का पकवान ले सकते हैं। मछलियों से लेकर प्रॉन और अन्य किस्म का समुद्री स्वाद यहां मिलेगा जबकि शाकाहारी को साउथ इंडियन थाली में हर सब्जी मिलेगी मगर नारियल वाली। डोसा, इडली और उत्तपम का तो स्वाद ही निराला है। केला भी यहां विभिन्न किस्मों का मिलेगा। इनके स्वाद भी अलग-अलग हैं और एक से बढकर एक गुणकारी, खासकर यहां का लाल केला जिसका स्वाद आपको उत्तर भारत में कहीं नहीं मिलेगा। पीने के लिये नारियल पानी की बात ही अलग है।

कब व कैसे: यूं तो पूरे साल केरल जाया जा सकता है। यहां तापमान में थोडा सा ही फेरबदल है। गर्मियों में यहां तापमान 24-33 डिग्री सेल्शियस के बीच रहता है। बस उमस थोडा ज्यादा होती है। सर्दियों में 22-32 डिग्री सेल्शियस और वर्षा ऋतु में 22-28 डिग्री सेल्शियस तक तापमान होता है। पहनावा सूती ही रखना बेहतर होगा। सर पर टोपी और धूप का चश्मा और सन स्क्रीन लोशन के साथ घूमने जायें तो आरामदायक रहेगा। त्रिवेंद्रम के लिये देश के हर प्रमुख शहर से रेल सेवा है। पूर्व योजना हो तो हवाई जहाज से भी जाना ज्यादा खर्चीला नहीं।

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