शनिवार, अप्रैल 16, 2011

सिंधुदुर्ग आइये समुद्र में गोता लगाने

यह लेख दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में 24 जून 2007 को प्रकाशित हुआ था।

समुद्र में रोमांच तलाशने वालों की संख्या में अब भारत में भी इजाफा हो रहा है। जाहिर है कि जब उनकी संख्या बढ रही है तो देश में यह रोमांच प्रदान करने वाले नए-नए स्थान भी उपजेंगे।

अब स्कूबा डाइविंग के लिये आपको मालदीव जाने की जरुरत नहीं। भारत में भी अब इसका प्रचलन तेजी से बढ रहा है। महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में सिंधुदुर्ग स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के नये केन्द्र के रूप में पर्यटकों को खासा आकर्षित कर रहा है। भारत में समुद्र तट से जुडे आकर्षणों- अण्डमान, लक्षद्वीप व केरल के बीच सिंधुदुर्ग भी अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहा है।

भारत में समुद्र के पानी में अठखेलियां करने की सुविधाएं देने वाला सिंधुदुर्ग चौथा स्थान है। यहां तक कि इसे महाराष्ट्र का कैलिफोर्निया कहा जाने लगा है। कुछ समय पहले एक समुद्री जीवविज्ञानी सारंग कुलकर्णी ने यहां के समुद्री जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी। उसी से प्रेरित होकर महाराष्ट्र सरकार ने उसे ही यहां ये सुविधाएं विकसित करने का जिम्मा दे दिया और अब यह सपना हकीकत में तब्दील हो चुका है। महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम के तरकाली बीच रिसॉर्ट पर समुद्री खेलों की सुविधाएं दी जा रही हैं। अप्रैल में शुरू हुई सुविधाओं को अब नवम्बर से शुरू होने वाले सीजन का इंतजार है।

खास बात यह है कि भारतीय पर्यटकों को तुलमात्मक रूप से कम खर्च में इस रोमांच को अनुभव करने का मौका मिल जाता है। इस बहाने तमाम स्थानीय युवकों को भी रोजगार का नया साधन मिल गया है। इस इलाके में दो हाउसबोट भी आ गई हैं जो पर्यटकों को आरामदेह रुकने की जगह उपलब्ध कराती हैं। सिंधुदुर्ग की खूबसूरती इसी बात में है कि ये पर्यटकों को विविधता तो उपलब्ध कराता ही है साथ में यहां की सुन्दरता गोवा सरीखी आसपास की जगहों की तुलना में एकदम अछूती है। आपको यहां भीड-भडक्का नहीं मिलेगा। बडे सुकून से आप वक्त गुजार सकते हैं।

सिंधुदुर्ग जिले का समुद्री तट 102 किलोमीटर लम्बा है और यहां 42 तट हैं जो अछूते कहे जा सकते हैं। और तो और, यहां अरब सागर में मिलने वाली कई नदियों का संगम जो बैकवाटर्स पैदा करता है, वह केरल सरीखे हाउसबोट अनुभव के लिये काफी माफिक जगह है। नदियों के साथ-साथ पहाड और जंगलों की मौजूदगी पूरे माहौल को और भी मनोरम बनाती है। सिंधुदुर्ग जिले के मालवन शहर के आसपास छह स्थानों को फिलहाल स्कूबा डाइविंग व स्नोर्कलिंग के लिये चुना गया है। आंकडे कहते हैं कि 2006 में डेढ लाख पर्यटक सिंधुदुर्ग आये, इनमें काफी बडी संख्या में विदेशी भी थे। कई विदेशी तो उन क्रूज जहाजों में भी आते हैं जो हर साल सिंधुदुर्ग के तट पर लंगर डालते हैं। सिंधुदुर्ग का पानी इतना साफ है कि मौसम अच्छा हो तो आप बीस फुट नीचे तक देख सकते हैं।

सिंधुदुर्ग में सिर्फ पानी ही नहीं, भारत के प्रमुख समुद्री किलों में से भी एक है जो 17वीं सदी का बना हुआ है। दरअसल जिले में कई किले हैं जो मराठा इतिहास की गवाही देते हैं। इसके अलावा जिले में सावंतवाडी के निकट अम्बोली हिल स्टेशन भी हैं जहां कई खूबसूरत झरने हैं। खासकर मानसून के दिनों में इस इलाके की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। अम्बोली भारत में चेरापूंजी के बाद सबसे ज्यादा बारिश वाला स्थान है।

कैसे जायें: सिंधुदुर्ग जिले का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन सावंतवाडी रोड है जो कोंकण रेल मार्ग पर दिल्ली, मंगलौर, मडगांव व मुम्बई से सीधा जुडा है। इसी रूट पर कोंकावली एक अन्य प्रमुख स्टेशन है। सिंधुदुर्ग स्टेशन सावंतवाडी रोड-मडगांव सेक्शन पर है। आपको कहां जाना है, इसी हिसाब से आपको स्टेशन चुनना होगा। बसें व टैक्सियां आराम से उपलब्ध हैं। हवाई रास्ते से जाना चाहें तो आपको गोवा से होकर जाना पडेगा।

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