मंगलवार, जनवरी 17, 2012

अप्रतिम येलागिरी

यदि भागदौड भरी जिन्दगी से इतर अपनी लाइफ में ठहराव, सुकून व शान्ति भरा पल बिताना चाहते हैं, तो येलागिरि की सैर कर आइये। येलागिरि तमिलनाडु के मशहूर हिल स्टेशनों में से एक है, जो चार पर्वत श्रंखलाओं के बीच बसा है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 920 मीटर है। यहां का स्वास्थ्यवर्द्धक मौसम एवं वातावरण वर्षभर सुहाना बना रहता है। इसलिये जब भी तमिलनाडु का ट्रिप प्लान करें, यहां जरूर जायें। हालांकि यह छोटा हिल स्टेशन है, पर वीकएण्ड मनाने के लिये बेहतर हिल स्टेशनों में से एक माना गया है। येलागिरि में 14 छोटे गांव हैं, जहां आदिवासी रहते हैं। यहां की शान्त व रिलैक्स्ड जीवन-शैली इसे पर्यटकों के बीच और भी खास बनाती है। व्यापक-अदभुत नजारा, ऊंची ऊंची ढलाननुमा पर्वत श्रंखलाएं, हरी-भरी वादियां इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। यहां के स्थानीय आदिवासी खेती (एग्रीकल्चर), बागवानी (हॉर्टिकल्चर) और वानिकी (फॉरेस्ट्री) पर ही निर्भर हैं। इनके रीति-रिवाज, घर की बनावट इतनी यूनीक है कि पर्यटक इसे देखने के लिये खिंचे चले आते हैं। 

दर्शनीय स्थल 

पुंगनूर लेक: यह आर्टीफिशियल लेक है, जो येलागिरि पहाडियों के मध्य करीब 570 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस लेक में बोटिंग का भी मजा ले सकते हैं। साथ ही, यहां खूबसूरत पार्क भी है, जिसकी देखभाल येलागिरि हिल डेवलपमेंट एंड टूरिज्म प्रमोशन सोसाइटी करता है। लेक के बीचोंबीच बना फव्वारा (फाउंटेन) झील की खूबसूरती को बढाता है। पार्क में बच्चों के खेलने के लिये कई चीजें भी लगाई गई हैं। 

हर्बल फार्म: झील के नजदीक ही हर्बल फार्म है, जिसकी देखभाल वन विभाग करता है। यहां कुछ ऐसे दुर्लभ व असाधारण हर्बल मिल जायेंगे, जिनका इस्तेमाल आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में किया जाता है। 

परन टेलीस्कोप: घाट रोड में प्रवेश करते ही टेलीस्कोप लगा दिख जायेगा, जिससे आप डीप स्लोप, ग्रीन वैली आदि का नजारा देख सकते हैं। 

वेलावन टेम्पल: इस मन्दिर में देव मुरुगन की मूर्ति है, जो येलागिरि के सबसे ऊंचे पहाड की चोटी पर स्थित है। यहां से पूरे येलागिरि का विहंगम नजारा देखने को मिलता है। मन्दिर के सामने ही कडोथकजन की खडी आकृति भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। जुलाई महीने में यहां हर साल धूमधाम व भव्य तरीके से त्यौहार आयोजित किये जाते हैं, जिनमें स्थानीय निवासी व श्रद्धालु भी जुटते हैं। 

जलगमपरई वाटर फॉल: अट्टारु नदी येलागिरि पहाडियों से गुजरकर जदयानुर में 30 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरती है, जिसे नाम दिया गया है जलगमपरई वाटर फॉल। कहा जाता है कि इस वाटर फॉल में स्नान करने से कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं, क्योंकि यह पहाडियों में उगे तरह-तरह के हर्बल प्लांट्स से होकर गुजरती है। आप निलवर से इस वाटर फॉल तक ट्रेकिंग के जरिये भी पहुंच सकते हैं। 

समर फेस्टिवल: मई से जून में यहां प्रत्येक वर्ष समर फेस्टिवल सेलिब्रेट किया जाता है, जिसका मुख्य आकर्षण ट्राइबल फोक डांस, म्यूजिक, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक और परम्परागत कार्यक्रमों का आयोजन होता है। 

ट्रेकिंग: हालांकि यह हिल स्टेशन छोटा है, पर कहते हैं न, छोटा पैकेज-बडा धमाल। ठीक उसी तरह येलागिरि में आकर्षक स्थलों को देखने के अलावा यहां की पहाडियों में ट्रेकिंग और माउंटेनियरिंग का भी मजा ले सकते हैं। ट्रेकिंग के जरिये घने जंगलों, वाटरफॉल्स, पीक प्वाइंट्स और वैली व्यू प्वाइंट्स को भी देख सकते हैं। 

ध्यान रखने योग्य बातें: येलागिरि में न तो कोई पेट्रोल पम्प है और न ही रिपेयरिंग की दुकान। इसलिये पहले से ही रिपेयर कराने के साथ उसमें पेट्रोल भी भरा लेना सही होगा। इसके अलावा, फर्स्ट-एड किट और रेग्यूलर इस्तेमाल में आने वाली दवाइयां भी रखें क्योंकि यहां आपको एक भी हेल्थ सेंटर नहीं मिलेगा। 

ट्रेकिंग के रूट्स: पुंगनूर से निलवर जलगमपराई (14 किलोमीटर), पुंगनूर- स्वामीमलाई हिल (6 किलोमीटर), मंगलम से स्वामीमलाई (2 किलोमीटर), इंफॉर्मेशन सेंटर से कूसी कुट्टई (1.5 किलोमीटर), पुथुर से पेरुमडु वाटरफॉल (3 किलोमीटर), बोट हाउस से पुलिचा कुट्टई (3 किलोमीटर)। 

कैसे पहुंचें 

पोन्नेरी से येलागिरि 14 किलोमीटर दूर है और तिरुओथर से इसकी दूरी 27 किलोमीटर है, जहां आप बस व टैक्सी से जा सकते हैं। 
रेल मार्ग: येलागिरि का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जोलरपेट्टाई है, जो 21 किलोमीटर दूर है। 
हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई (233 किलोमीटर) व बेंगलूरू (145 किलोमीटर) है। 

राष्ट्रीय सहारा में 6 फरवरी 2011 को प्रकाशित

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