बिहार में नालन्दा से 13 किलोमीटर की दूरी पर बौद्धों की श्रद्धा का केन्द्र राजगीर नामक स्थान है। राजगीर को प्राचीन काल में राजगृह के नाम से जाना जाता था। राजगीर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अहम है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी थी। इसी जगह से महान मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ था। कहते हैं कि राजगीर भगवान ब्रह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, भगवान बुद्ध और जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की साधना भूमि रहा है। जरासंध ने यहीं भगवान श्रीकृष्ण को हराकर उन्हें मथुरा से द्वारका जाने को मजबूर किया था।
मकर और मलमास का मेला
राजगीर का मकर और मलमास का मेला बहुत प्रसिद्ध है। शास्त्रों के अनुसार मलमास को 13वें महीने के रूप में बताया गया है, इसलिये इसे अपवित्र महीना माना गया है। इस महीने में कोई धार्मिक कार्य भी नहीं किया जाता। कहते हैं कि इस समय सभी देवी-देवता राजगीर में निवास करते हैं तथा यहां भगवान ब्रह्मा द्वारा प्रकट किये गये ब्रह्म कुण्ड में स्नान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
राजगीर से बौद्ध धर्म का बहुत नजदीकी सम्बन्ध रहा है। भगवान बुद्ध ने यहां कई वर्षों तक निवास किया था तथा यहां कई बार उपदेश भी दिये थे। भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद यहीं प्रसिद्ध ’ह्यसप्तपर्णी गुफा’ में पहला बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया गया था। यहीं पर भगवान बुद्ध के उपदेशों को लिपिबद्ध भी किया गया था। यहां जापान के बौद्ध संघ द्वारा निर्मित ’ह्यविश्व शान्ति स्तूप’ बहुत सुन्दर है। यह स्तूप गिरिधरकूट पहाडी पर बना है। बताया जाता है कि इस पर्वत पर भगवान बुद्ध ने कई उपदेश दिये थे। इस स्तूप के चारों कोनों पर भगवान बुद्ध की चार दिव्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां से कुछ दूरी पर प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल ’पावापुरी’ स्थित है। यहां पर भगवान महावीर का एक भव्य मन्दिर भी है। यहां पर जरासंध का अखाडा, लक्ष्मीनारायण मन्दिर, सप्तपर्णी गुफा, पिपली गुफा, स्वर्ण भण्डार आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल भी देखने योग्य हैं।
कैसे पहुंचे राजगीर
गया से सीधे जुडे हुए राजगीर के रेलवे स्टेशन पर देश के लगभग हर कोने से ट्रेनें आती हैं। सडक मार्ग द्वारा जाना हो तो पटना से राजगीर की दूरी 103 किलोमीटर है। राजगीर नालन्दा से 12 और गया से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई मार्ग से आने के लिये आपको गया या पटना तक आना पडेगा। इसके बाद सडक या रेल मार्ग दोनों से राजगीर पहुंचा जा सकता है।
दैनिक जनवाणी में 6 मार्च 2011 को प्रकाशित
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