हिमाचल प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थल मैक्लोडगंज से लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है- नड्डी गांव। अगर किसी ने डल झील न देखी हो तो नड्डी गांव आकर इस झील का लुत्फ उठा सकता है। यह जगह कश्मीर नहीं, पर इस गांव में डल झील जरूर है। नड्डी गांव समुद्र तल से 1830 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर है। इसी वजह से यहां ज्यादातर कोहरा और बरसात जैसा मौसम बना रहता है। गर्मियों में यहां दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यह जगह शहरों की उमस, शोरगुल और दमघोंटू माहौल से दूर मंद मंद ठण्डी हवा के झोंको वाली है जो पर्यटकों के दिलोदिमाग को सुकून देती है। यहां की सुरमई शाम और चिडियों की चहचहाहट सुबह आने वाले पर्यटकों को लुभाती है। नड्डी गांव आने के लिये मार्च से जुलाई तक का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है।
गर्मी के मौसम में भी ये पहाडियां सफेद नजर आती हैं। गर्मी की छुट्टियों में लोग यहां आना इसलिये पसन्द करते हैं क्योंकि यहां गर्मी में सर्दी का एहसास होता है। सफेद पर्वतों से घिरा यह गांव ऐसा लगता है मानों प्रकृति ने इसे अपनी गोद में बिठा रखा हो। दिसम्बर-जनवरी के महीने से ही यहां का मौसम सुहाना होने लगता है। ऐसा लगता है कि हिमालय की चोटियों पर प्रकृति ने बर्फ की सफेद चादर बिछा दी हो। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है। यह गांव इस ओर का सबसे ऊंचा और अंतिम पडाव भी है।
क्या देखें
यहां बडी लाइब्रेरी है, जिसमें तिब्बती सभ्यता के बारे में जानने को बहुत कुछ मिलेगा। करीब 10-12 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध भागसूनाग मन्दिर है। मन्दिर के पास का झरना पर्यटकों को लुभाता है। यहां आने के लिये तीन-चार दिन की छुट्टी चाहिये तभी हरी-भरी वादियों का पूरा मजा ले पायेंगे।
नड्डी गांव: हरे-भरे खेतों, छोटे बडे देवदार के पेडों के बीच ऊंची-नीची मिट्टी पर उगी हरी घास, पतले और घुमावदार रास्ते और जहां तक नजर जाये, वहां तक बस पहाड ही दिखता है। इसके अलावा दर्शनीय हैं- मैक्लोडगंज, सेंट जोसेफ चर्च, धर्मकोट, त्रिउंड, वार मेमोरियल, कुनाल पथरी और करेरी।
कैसे जायें
बस से: दिल्ली से 12-14 घण्टे, चण्डीगढ से 8-9 घण्टे, पठानकोट से 4-5 घण्टे।
सडक मार्ग: चण्डीगढ से 239 किलोमीटर, दिल्ली से 514 किलोमीटर, नांगल से 145 किलोमीटर, जालंधर से 166 किलोमीटर, होशियारपुर से 128 किलोमीटर, मण्डी से 147 किलोमीटर, ज्वालामुखी से 55 किलोमीटर, कुल्लू से 214 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, चम्बा से 192 किलोमीटर और शिमला से 322 किलोमीटर।
रेल मार्ग: रेलमार्ग से जाना चाहते हैं तो पठानकोट उतरना होगा। वहां से बस या टैक्सी द्वारा धर्मशाला या सीधे नड्डी गांव तक पहुंचा जा सकता है।
हवाई मार्ग: गग्गल एयरपोर्ट 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यह कांगडा में पडता है। यहां ठहरने की भी कोई समस्या नहीं। हर किसी के बजट में होटल और गेस्ट हाउस मौजूद हैं।
लेख: अनिता घोष (राष्ट्रीय सहारा में 15 मई 2011 को प्रकाशित)
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