रविवार, दिसंबर 18, 2011

रामेश्वरम- समुद्री स्नान की सैरगाह

रामेश्वरम तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में पम्बन द्वीप पर स्थित है। काशी के बाद रामेश्वरम सर्वाधिक पवित्र तीर्थ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्ति से पूर्व भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की थी। मन्नार की खाडी में स्थित रामेश्वरम वैष्णव व शैव धर्म के मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ है। साथ ही जो समुद्र में स्नान का आनन्द लेना चाहते हैं, उनके लिये भी यह एक आदर्श जगह है।

क्या देखें?

रामनाथ स्वामी मन्दिर समुद्र के पूर्वी छोर की ओर स्थित है। यहां के गलियारों में खम्भों पर बनी मूर्तियों में बारीक कारीगरी का नजारा देखते ही बनता है। मन्दिर का गलियारा भारत का सबसे लम्बा गलियारा है। यह 197 मीटर लम्बा (पूर्व-पश्चिम) है। मन्दिर का गोपुरम 38.4 मीटर ऊंचा है। मन्दिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के बाद कई राजाओं ने करवाया था।

मन्दिर समुद्र से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आने के बाद पर्यटक व श्रद्धालु ‘अग्नितीर्थम’ नामक स्थान पर स्नान-ध्यान करते हैं।

पम्बन द्वीप के चारों ओर पानी में मछलियां हैं। यहीं संसार के सुन्दरतम मूंगे के टापू स्थित हैं। मन्दिर से तीन किलोमीटर दूर उत्तर की ओर गंधमदनम पर्वत स्थित है। यह द्वीप का सबसे ऊंचा स्थल है तथा यहां दो मंजिला मंडपम बना हुआ है।

कैसे पहुंचें?

चूंकि रामेश्वरम द्वीप है, इसलिये यह सडक व रेलमार्ग द्वारा शेष भू-भाग से जुडा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है, जो यहां से 167 किलोमीटर दूर स्थित है। रेलगाडी रामेश्वरम तक आती-जाती है।

कहां ठहरें?

पाश्चात्य व भारतीय शैली के होटल यहां बने हुए हैं। यूथ हॉस्टल, रेलवे विश्रामालय व धर्मशालाएं भी ठहरने के लिये पर्याप्त हैं।

खरीदारी

शंख व ताड के पत्तों से बनी वस्तुएं, मनके मन्दिर के समीप खरीदे जा सकते हैं। रामेश्वरम में बैंक, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस आदि की सुविधा उपलब्ध है।

लेख: दिनेश (हिन्दुस्तान रविवासरीय, नई दिल्ली, 18 मई 1997)

सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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