बुधवार, दिसंबर 14, 2011

जूनागढ- नवाबों की हवेलियों का शहर

अरब सागर के मुहाने पर बसा गुजरात का जूनागढ क्षेत्र बब्बर शेरों के लिये प्रसिद्ध है। गिर के जंगलों की तलहटी में बसे जूनागढ शहर को नवाबों के लिये भी जाना जाता है।

इस क्षेत्र की दूसरी विशेषता यहां की हरियाली है। हरे-भरे घने जंगल और मीठे पानी के प्राकृतिक स्त्रोतों की वजह से यह जगह वन्य पशुओं के लिये मुफीद रहती है। भारत में यही एकमात्र ऐसा जंगल है जहां बब्बर शेर बचे रह गये हैं।

गिर के प्रख्यात जंगल में खुलेआम घूम रहे शेरों को देखने के लिये विशेष जालीदार गाडियों की व्यवस्था है। इन गाडियों के द्वारा आप पूरे जंगल की सैर कर शेरों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में देखने का सुन्दर मौका पाते हैं।

जूनागढ चूंकि नवाबों का शहर रहा है इसलिये इस शहर का अन्य मुख्य आकर्षण नवाबों की हवेलियां हैं। अरबी और फारसी शैली के अलावा इनके निर्माण में गुजरात की पारम्परिक शैली का सम्मिश्रण इन्हें अदभुत छवि प्रदान करता है।

कम लोगों को ही ज्ञात होगा कि यहां जुल्फिकार अली भुट्टो का भी एक महल है। पाकिस्तान के इस पूर्व प्रधानमन्त्री का महल आजकल संग्रहालय कम सरकारी गेस्ट हाउस ज्यादा है। यहां रखे शीशे और लकडी के फर्नीचर अपनी अच्छी कारीगरी और नक्काशी के कारण आज भी अच्छे लगते हैं। यहां पहुंचने के लिये सूरत, मुम्बई या अहमदाबाद से आसानी से जाया जा सकता है।

यहां के बाजारों में स्थानीय कलाकृतियों की लकडी और प्लास्टिक की अनुकृतियां आप दोस्तों को स्मृति चिह्न के रूप में भेंट कर सकते हैं। गुजराती चलन के कपडे भी यहां से खरीदे जा सकते हैं।

जूनागढ पहुंचने के लिये लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेल सम्पर्क है। वैसे अहमदाबाद पहुंचकर वहां से रेल या बस से जूनागढ पहुंचना ज्यादा सुविधाजनक रहता है।

जूनागढ आयें तो समुद्र तट पर स्थित पोरबन्दर भी जरूर जायें। यह शहर अपने सुन्दर समुद्र तट और महात्मा गांधी का जन्मस्थान होने के कारण विश्व विख्यात है।

महात्मा गांधी का जिस जगह जन्म हुआ था, उस जगह को आज एक अत्यन्त अच्छे संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। गांधी जी, कस्तूरबा गांधी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं से जुडी चीजों को यहां एक अच्छे स्मारक के रूप में रखा गया है।

जूनागढ से सिर्फ 5-7 किलोमीटर की दूरी पर गिरनार महत्वपूर्ण जैन तीर्थ है। यहां ऊंची पहाडियों पर स्थित जैन मन्दिरों और गुफाओं को देखना आकर्षक है।

लेख: निशा (हिन्दुस्तान रविवासरीय, नई दिल्ली, 18 मई 1997)

सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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