प्रकृति की गोद में बसा कोडाई अथवा कोडैकनाल तमिलनाडु की पालनी पहाडियों पर स्थित एक सुरम्य स्थल है। 19वीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षों में ईसाई मिशनरियों ने बच्चों के लिये आवासीय स्कूल स्थापित करने के लिये इस निर्जन स्थान को चुना था।
यहां की सूर्य की किरणें भारत के किसी भी पर्वतीय स्थल से अधिक चमकदार दिखाई देती हैं। यहां पेड-पौधे, पशु-पक्षी, आकर्षक वनों की खूबसूरत ढलानें, झरने पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। पक्षी जगत यहां बहुतायत में है। 1861 में मेजर डगलस हेमिल्टन ने 144 प्रजाति के पक्षियों का पता लगाया था।
क्या देखें?
तारे के आकार की सुरम्य झील पर्वतों के मध्य में बहुत खूबसूरत लगती है। झील में नौका विहार का आनन्द लिया जा सकता है। झील के पूर्व की ओर ब्रायंट पार्क रंग-बिरंगे फूलों के लिये मशहूर है।
सौर भौतिक प्रयोगशाला यहां के सबसे ऊंचे बिन्दु पर स्थित है। झील से करीब तीन किलोमीटर दूर इस वेधशाला की स्थापना 1898 में हुई थी। यहां तारों की गति को देखा जा सकता है।
इसके अलावा बियर शोला प्रताप, पिलर रॉक्स, कुरुंजी मन्दिर आदि अन्य मनमोहक व दर्शनीय स्थल हैं।
कैसे पहुंचें?
कोडैकनाल सडक मार्ग से तो भली-भांति जुडा हुआ है, किन्तु निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है जो 120 किलोमीटर दूर स्थित है। कोयम्बटूर हवाई अड्डा 135 किलोमीटर दूर है।
रेल द्वारा कोडाई रोड रेलवे स्टेशन (80 किलोमीटर) तथा पालनी रेलवे स्टेशन (64 किलोमीटर) पहुंचा जा सकता है। कोडैकनाल से नियमित बस सेवा मदुरै, पालनी, कोडैकनाल रोड, थेनी, डिंडीगुल, तिरुचिरापल्ली, इरोड, बैंगलुरु व कोयम्बटूर के लिये उपलब्ध है। तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम एकदिवसीय भ्रमण का आयोजन करता है।
कहां ठहरें?
भारतीय व पाश्चात्य शैली के होटल यहां उपलब्ध हैं। साथ ही यूथ हास्टल भी यहां हैं।
खरीदारी
खादी इम्पोरियम, हैंडलूम कोऑपरेटिव स्टोर्स आदि से कलात्मक वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। यहां पर बैंक, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस आदि की सुविधा उपलब्ध है।
लेख: दिनेश (हिन्दुस्तान रविवासरीय, नई दिल्ली, 18 मई, 1997)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से
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