संदीप पंवार के सौजन्य से
हिन्दुस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर शिमला से 16 किलोमीटर दूर स्थित कुफरी चारों ओर से बर्फीली पहाडियों से घिरा एक रमणीक स्थल है। यहां के प्राचीन भीमाकाली मन्दिर के समीप स्थित एक तलाई (तालाब) से इस स्थल का नामकरण कुफरी हुआ है क्योंकि स्थानीय भाषा में तलाई को कुफरी ही कहते हैं। यहां कभी कोटी, किंथल व पटियाला रियासतों की सीमाएं भी मिलती थीं, अतः इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व भी है। समुद्र तल से 2623 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थल को चीनी बंगला के नाम से भी जाना जाता है। चीनी बंगला वास्तव में अब एक कैफेटेरिया है, जिसके प्रांगण में दुर्लभ भोजपत्र के तीन वृक्ष लगे हुए हैं।
बर्फ के खेलों के लिये भी कुफरी मशहूर है। हिमाचल में स्कीइंग शुरू करने का सौभाग्य भी कुफरी को प्राप्त है। बर्फबारी के दिनों में तो यहां स्कीइंग प्रेमियों का सैलाब सा उमड पडता है। यहां पर महासू से कुफरी बाजार तक जाते तीन किलोमीटर लम्बे स्कीइंग स्लोप पर फिसलते हुए पहला पडाव ‘कुबेर’ के पास आता है। वहां से जम्प लगाकर स्कीयर कुफरी बाजार तक फिसलता हुआ पहुंच जाता है। हेलीकॉप्टर सुविधा उपलब्ध न होने पर स्कीयर ‘बर्फ-शू’ (एक विशेष प्रकार के जूते) पर लगी विशेष चपटी के बल पर फिर से बर्फीली ढलानों पर चढता हुआ हिमशिखर यानी महासू चोटी पर जा पहुंचता है और वहां से बर्फीली ढलानों पर फिसलने का रोमांच फिर से पा लेता है।
कुफरी में स्कीइंग की शुरूआत 1951-52 में हुई थी, जब ‘शिमला आइस स्केटिंग क्लब’ के सदस्यों ने इस स्थल को स्कीइंग के लिये उपयुक्त पाया था। उस समय कुफरी एक निर्जन सा गांव मात्र था। 1954 में जब श्रीमति इंदिरा गांधी के प्रयत्नों से ‘हिमाचल विंटर स्पोर्ट्स क्लब’ की स्थापना हुई, तो कुफरी के दिन फिरने लगे। श्रीमति गांधी इस क्लब की मुख्य संरक्षक थीं और हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री डॉ. यशवंत सिंह परमार इसके प्रथम अध्यक्ष थे।
1954 के बाद तो कुफरी की ढलानें काफी लोकप्रिय होने लगीं। विदेशों से यहां स्की-शूज, स्किट्स और अन्य उपकरण मंगवाये गये। एक स्की-लिफ्ट की स्थापना की गई। 1955 में यहां प्रथम स्कीइंग फेस्टिवल का आयोजन किया गया और 1968 में सर्वाधिक स्मरणीय और प्रथम स्कीइंग प्रतियोगिता यहां हुई। जिसे दस हजार से भी अधिक लोगों ने सांस थाम कर देखा। बाद के वर्षों में यहां कम बर्फबारी के कारण स्कीइंग प्रतियोगिता का स्थल ‘नारकण्डा’ कर दिया गया।
कुफरी में लगभग डेढ किलोमीतर की परिधि में इंदिरा टूरिस्ट पार्क भी स्थित है जहां एक लघु चिडियाघर बनाया गया है। बर्फ के ऊंट कहे जाने वाले याक पर यहां सवारी करने का लुत्फ ही निराला है। जो लोग स्कीइंग नहीं जानते, वे स्लेज द्वारा बर्फ पर फिसलने का रोमांच ले सकते हैं।
कुफरी से 26 किलोमीटर आगे घने वृक्षों से घिरा खूबसूरत स्थल चायल है। समुद्र तल से 2150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चायल को चैल के नाम से भी जाना जाता है। आजादी से पहले चायल पटियाला के महाराजाओं भूपेंद्र सिंह व यादवेंद्र सिंह की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी थी। इन दोनों महाराजाओं की चूंकि क्रिकेट में बेहद रुचि थी, अतः उन्होंने यहां पर एक क्रिकेट मैदान भी बनवाया था जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउण्ड भी माना जाता है। यह मैदान चारों ओर से विशालकाय लम्बे पेडों से घिरा हुआ है। यहां से बर्फ से ढकी हिमालय श्रंखला का सौन्दर्य अवलोकन किया जाता है। महाराजा पटियाला के ग्रीष्म स्थान को पैलेस होटल नाम दिया गया है।
yahan to hum bhi gaye hain.taad taza hui
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