लेख: भुवन मोहन
संदीप पंवार के सौजन्य से
चण्डीगढ से शिमला जाने वाली सडक की आधी दूरी पर स्थित है खूबसूरत हिल स्टेशन कसौली। कालका से करीब बीस किलोमीटर ऊपर पहाडी की ओर सडक पर एक मोड है। यहीं इस मोड के दूसरी ओर से हवा का झोंका यात्रियों को मन्त्रमुग्ध कर देता है। उसी मोड पर नैरो गेज की रेलवे क्रासिंग है जो कई बार बन्द मिलती है। नैरो गेज की यह रेल की पटरियां पहाड के चारों ओर बिखरी पडी हैं और उस पर दूर से ही रेंगती हुई दिखलाई पडती है- लाल, पीले, नीले और सफेद डिब्बे वाली रेलगाडी जिसे ‘ट्वाय ट्रेन’ के नाम से पुकारा जाता है।
बस के अलावा इस ट्वाय ट्रेन से धरमपुर तक जाया जा सकता है जो कसौली का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। फिर यहां से किसी भी बस द्वारा कसौली पहुंचा जा सकता है। जो पर्यटक पैदल जाना चाहते हैं वे सडक मार्ग से करीब तीन घण्टे में कालका से कसौली पहुंच सकते हैं। पैदल जाने का अपना ही मजा है। पूरा मार्ग चीड के पेडों से भरा पडा है। कसौली समुद्र तल से 1927 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो शिमला से मात्र 280 मीटर कम है। यहां की जलवायु शिमला जैसी ही है। जो लोग रोज की भागदौड की जिन्दगी से ऊबकर कुछ दिन आराम करना चाहते हैं उनके लिये कसौली एक आदर्श जगह है।
कसौली की दो प्रमुख सडकें हैं- अपर माल और लोवर माल। इन सडकों के दोनों किनारों पर चीड, ओक और देवदार के वृक्षों से घिरे पुराने फैशन के मकान हैं। इस क्षेत्र में वाहनों के आने का समय निश्चित है जिसके कारण पर्यटक स्वच्छंद रूप से वादियों का लुत्फ उठाते हैं।
कसौली से रात में शिमला की छटा देखते ही बनती है। असंख्य टिमटिमाती बत्तियों से दीप्तिमान यह शहर रात में किसी परीलोक से कम नहीं लगता। इससे थोडा नीचे सबातू और उसके दायीं ओर दंगराई तथा सनावर में टिमटिमाती बत्तियां जुगनुओं का भ्रम पैदा कर देती हैं। इसके दक्षिण में स्थित चण्डीगढ तथा अम्बाला की विस्तृत बिजलियां भी दिखती हैं। खुले और साफ मौसम में इन शहरों को दिन में भी देखा जा सकता है। यहां पर एक छोटा सा बाजार भी है जो सडक की ढलान पर स्थित है।
प्रत्येक साल अक्टूबर महीने के प्रथम चार दिनों में कसौली में मेले जैसी हलचल नजर आती है क्योंकि इस समय सनावर में स्कूल का स्थापना दिवस मनाया जाता है जहां बच्चों के माता-पिता कोने-कोने से यहां आते हैं।
मानसून के दिनों में वर्षा की बौछार पडते ही कसौली की हरीतिमा और भी बढ जाती है। बारिश थमी नहीं कि चारों तरफ कुहासे का साम्राज्य हो जाता है और उसमें घूमने निकल पडते हैं पर्यटक।
कसौली की सबसे ऊंची जगह है मंकी प्वाइंट जहां से दिखती है प्रकृति की दूर-दूर की अनुपम छटा। मंकी प्वाइंट तथा दूसरी ओर गिलबर्ट पहाडी पर लोग सुबह-शाम टहलने निकलते हैं। इन दोनों जगहों पर पिकनिक मनाने वालों की हमेशा भीड लगी रहती है। कसौली की अच्छी आबोहवा के कारण यहां पर क्षय रोगियों के लिये एक सैनेटोरियम बनाया गया है।
यहां एक चर्च भी है जिसमें पुराने जमाने के विभिन्न प्रकार के बूंदीदार रंगीन ग्लास वाले दरवाजे तथा खिडकियों का शिल्प देखते ही बनता है। कसौली क्लब तथा प्राइवेट होटलों के अलावा हिमाचल पर्यटन विभाग ने भी यहां एक होटल बनवाया है जहां हमेशा पर्यटकों की भीड जुटी रहती है।
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