शुक्रवार, सितंबर 09, 2011

धर्मशाला में लघु ल्हासा के दर्शन

हिमाचल प्रदेश में पठानकोट के समीप एक विख्यात मनोरम नगर है- धर्मशाला। पता नहीं धौलाधार घाटियों के बीच स्थित इस नगर का नाम धर्मशाला क्यों पडा। किन्तु जब से बौद्ध धर्म के शीर्ष गुरू दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायियों ने यहां भारत सरकार की सहमति से शरण ली है- इसका धर्मशाला नाम सार्थक हो गया, क्योंकि उन्हें भारत में यही शरण मिली है। प्रवास में यात्रियों के ठहरने के स्थान को ही धर्मशाला कहते हैं।

धर्मशाला धौलाधार की पर्वतीय छटा का ऐसा नैसर्गिक नगर है, जहां से सामने बर्फीली पहाडियों की श्रंखलाएं दिखाई देती हैं। यह कांगडा जिले का मुख्यालय है और कांगडा घाटी का प्रमुख नगर भी। धर्मशाला का इतिहास कांगडा के समान लगभग 3500 वर्ष प्राचीन है। धर्मशाला की घाटियों और इसके चारों ओर आकर्षक देवदार और चीड के ऊंचे वृक्षों के अनेक समूह हैं। यहां चाय के बागान भी हैं और सौन्दर्य से परिपूर्ण पर्वत सदैव ही नई छटा बिखेरते रहते हैं। सघन हरे वृक्षों की कतारों के पीछे हिम से आच्छादित धौलाधार की शिखाएं ऐसे लगती हैं कि जैसे धर्मशाला के समीप वृक्षों ने रजत मुकुट धारण कर रखे हैं।

अब तो धर्मशाला तिब्बतवासियों का अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र बन गया है और दलाई लामा के कारण यहां काफी हलचल है। सन 1960 से यहां दलाई लामा का मुख्यालय है अब जहां देखो वहां तिब्बत के लामा ही दिखाई देते हैं। यह भारत में एक लघु ल्हासा बन गया है। यहीं दलाई लामा का शानदार निवास तथा आकर्षक बौद्ध मठ है। तिब्बती सचिवालय व सूचना केन्द्र भी यहीं पर है। साथ ही यहां पर तिब्बती बाजार और तिब्बतियों का हस्तकला केन्द्र भी है।

धर्मशाला को दो भागों में विभक्त करना उचित होगा। ऊपरी भाग जो काफी ऊंचाई पर है- मैक्लोडगंज के नाम से जाना जाता है। यहीं दलाई लामा का निवास व बौद्ध मठ है। निचले भाग में न्यायालय, प्रशासनिक कार्यालय, कोतवाली बाजार, बस स्टैण्ड आदि हैं।

धर्मशाला का क्षेत्रफल लगभग 29 वर्ग किलोमीटर है। लगभग बीस हजार यहां की जनसंख्या है। मार्च से जून और सितम्बर से नवम्बर तक के महीने यहां के पर्यटन के लिये खुशहाली के बताये जाते हैं। धर्मशाला यातायात के साधनों से भली प्रकार जुडा हुआ है। नजदीक का हवाई अड्डा अमृतसर यहां से करीब 200 किलोमीटर दूर है। रेल का समीप का स्टेशन पठानकोट केवल 90 किलोमीटर दूर है। बसों द्वारा सभी स्थानों से सम्पर्क ठीक प्रकार से बना हुआ है। कांगडा से धर्मशाला 18 किलोमीटर दूर है। यह पर्वतीय नगर दिल्ली से 470 किलोमीटर, चण्डीगढ से 240 किलोमीटर की दूरी पर है। अन्य नगरों में जालन्धर 166, मण्डी 147, ज्वालामुखी 55, पालमपुर 52, शिमला 278 और चम्बा 192 किलोमीटर दूरी पर हैं।

धर्मशाला में पर्यटकों के लिये अनेक आकर्षण हैं। यहां के ऊपरी बाजार मैक्लोडगंज, तिब्बती मठ, भागसू नाग के झरने, युद्ध स्मारक, डल झील, धर्मकोट काफी प्रसिद्ध हैं। होटलों की संख्या यहां काफी अधिक है। पर्यटन विभाग के होटल भी हैं। यहां की ऊंचाई ऊपरी क्षेत्र की 6500 फीट और नीचे की 4500 फीट है।

धर्मशाला के समीप डलहौजी और चम्बा हिमाचल प्रदेश के दो बडे नगर हैं, जहां यहां आने वाले पर्यटक भी जाते हैं। इनमें डलहौजी 130 और चम्बा 192 किलोमीटर की दूरी पर हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने धर्मशाला में एक ‘लेखक गृह’ के नाम से अतिथि गृह बना रखा है। यह यहां के भाषा व संस्कृति विभाग के अन्तर्गत है।

लेख: कमल किशोर जैन

सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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