माता नैना देवी का प्रसिद्ध शक्तिस्थल पंजाब के प्रसिद्ध स्थान श्री आनन्दपुर साहिब से 9 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में एक तिकोनी पर्वतमाला पर स्थित तारालय नामक चोटी पर स्थित है। इस पावन स्थान पर माता नैना देवी के वर्ष भर में तीन मेले चैत्र, श्रावण तथा आश्विन मास में जुडते हैं। श्रावण मास के मेले में सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रावण मेला श्रावण शुक्ल एकम से नवमी तक चलता है। यह स्थान विश्व के कुल 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मां सती के नयन इसी स्थान पर गिरे थे। इसीलिये इस स्थान का नाम नैना देवी पडा।
नैना देवी मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि लगभग 1240 वर्ष पहले चंदोही (राजस्थान) के राजा वीर चन्द को स्वप्न में दिखाई दिया कि यदि वह इस स्थान पर देवी की पूजा अर्चना करेगा तो एक बडे राज्य का राजा बनेगा। अनेक कठिनाईयों के बावजूद राजा वीरचन्द ने यह स्थान खोज निकाला और इस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया।
माता नैना देवी के भवन के भीतर तीन मूर्तियां हैं जो दर्शनीय हैं। विशेषता उस अन्दर वाली मूर्ति की मानी जाती है जिसके मात्र दो स्वर्ण नयन ही दिखाई देते हैं। मन्दिर के साथ ही एक हवन कुण्ड भी बना हुआ है जिसकी विशेषता यह है कि इसमें डाली गई सारी सामग्री जलकर उसके बीच में ही समा जाती है। भवन से कुछ ही दूरी पर एक प्राचीन गुफा भी है। श्रद्धालुजन उसके भी श्रद्धा भाव से दर्शन करते हैं।
भवन से 100 मीटर की दूरी पर एक सरोवर है जिसमें स्नान करने का अत्यन्त महत्व माना जाता है। पहले तो श्रद्धालुओं को आनन्दपुर साहिब से ही पैदल चलकर जाना पडता था मगर अब नैना देवी की यात्रा काफी आसान हो गई है क्योंकि पहले कीरतपुर साहिब से बसें चलती थीं और भवन से दो किलोमीटर पीछे ज्यूना मोड की समाधि तक जाती थीं मगर अब यहां से ट्राली सिस्टम शुरू हो चुका है जिससे यात्री गुफा के पास तक पहुंच जाते हैं।
अनेक श्रद्धालु आज भी आनन्दपुर साहिब से और कुछ कोला वाला टोला से पैदल चढते हैं। अनेक श्रद्धालु सारा रास्ता दण्डवत करते हुए भी तय करते हैं।
लेख: सत प्रकाश सिंगला
सन्दीप पंवार के सौजन्य से
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