रविवार, मई 20, 2012

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान- जंगल के रोमांच का नाम

सरिस्का आने के लिये आप जयपुर या अलवर से रेलगाडी से भी पहुंच सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित होने के कारण यहां सडक परिवहन से पहुंचना भी काफी सुगम है। दिल्ली से कार द्वारा यहां पहुंचने में सिर्फ चार घण्टे का समय लगता है और जयपुर से यहां दो घण्टे में पहुंच जाते हैं।
प्रमुख नगरों से दूरी: दिल्ली 202 किलोमीटर, जयपुर 107 किलोमीटर, अलवर 34 किलोमीटर।
कहां ठहरें: सरिस्का की सैर के लिये एक दिन का समय काफी है। जयपुर से बस या टैक्सी से सुबह सरिस्का आकर उसी शाम वापस जयपुर पहुंचा जा सकता है। फिर भी यदि आप यहां ठहरना चाहें तो आवास के लिये सरिस्का में पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं। सरिस्का पैलेस, राजस्थान स्टेट होटल, टूरिस्ट बंगला, टाइगर डीन बंगला और टूरिस्ट रेस्ट हाउस में ठहरने की अच्छी सुविधाएं हैं।
क्या देखें: बाघ सरिस्का का मुख्य आकर्षण है। सन 1988 में यहां 45 बाघ थे किन्तु अब (1995) में यह संख्या घटकर आधी हो गई है। अवैध शिकार, अवैध खनन और उससे उत्पन्न शोर-शराबे ने सरिस्का के बाघों पर प्रतिकूल असर डाला है। फिर भी यदि आप सौभाग्यशाली हैं तो सरिस्का की काली घाटी, राइका, काकवाडी, माला, पाण्डुपोल, उमरी और देबरी के जंगलों में वनराज के दर्शन हो सकते हैं।
सरिस्का का वन्य जीवन काफी विविधतापूर्ण है। बाघों के अलावा आप यहां काला हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय और चौसिंगा हिरणों के झुण्ड को कुलांचे भरते देख सकते हैं। जंगली सूअर, लंगूर, बन्दर, गीदड और लोमडी भी यहां काफी तादाद में मौजूद हैं। हजारों की संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर, गरुड, उल्लू, कठफोडवा और किंगफिशर जैसी दर्जनों प्रजातियों के पक्षी भी यहां पर्यटकों की अगवानी के लिये सदैव तैयार मिलते हैं।
सरिस्का की हरियाली, ताल-तलैये और नुकीली चट्टानें भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। सरिस्का जायें तो भीषण गर्मी और सूखे में भी हरे रहने वाले हिंगोट और रौहंज प्रजाति के पेडों की पहचान करना न भूलें।
राष्ट्रीय उद्यान में हनुमानजी का प्राचीन मन्दिर, मुगलकालीन काकवाडी का किला और अलवर नरेश जयसिंह द्वारा निर्मित (अब होटल) भी दर्शनीय हैं। जंगल में यहां-वहां आठवीं से दसवीं सदी के मध्य निर्मित हिन्दू और जैन मन्दिरों के अवशेष भी नजर आते हैं।
राष्ट्रीय उद्यान में सैर के लिये जालीदार जीपों की व्यवस्था है। इनमें बैठकर पर्यटक सरिस्का भ्रमण का आनन्द ले सकते हैं। सरिस्का में पर्यटकों की काफी भीडभाड रहती है। औसतन 250 वाहन प्रतिदिन राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करते हैं। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में पहले पर्यटकों को रात्रि में भी घुमाने की व्यवस्था थी लेकिन वन्य जन्तुओं की शान्ति में बाधा न पडे, इसलिये इसे बन्द कर दिया गया है। सूर्यास्त के बाद पर्यटकों को राष्ट्रीय उद्यान में घूमने की मनाही कर दी गई है। इसलिये सूर्यास्त से पहले ही उद्यान क्षेत्र से बाहर निकल आना चाहिये।

लेख: अनिल डबराल (26 नवम्बर 1995 को हिन्दुस्तान में प्रकाशित)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से

1 टिप्पणी:

  1. अच्छी जानकारी हैं, नीरज भाई साथ में यदि कुछ फोटो भी लगाओ तो सोने पे सुहागा होगा

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