शनिवार, मई 19, 2012

पेरियार राष्ट्रीय उद्यान- प्राकृतिक सौन्दर्य की अदभुत थाती

कुदरत ने केरल में मुक्तहस्त से अपना वैभव बिखेरा है। चप्पे-चप्पे पर बिखरी हरियाली, हरे-भरे वृक्षों से ढके पर्वत, नदियों और झीलों की यह धरती प्रकृति प्रेमियों के लिये स्वर्ग है। राज्य के एक चौथाई क्षेत्र में सदाबहार वन हैं, जहां जंगल की खुशनुमा दुनिया आबाद है। इस छोटे से प्रान्त में प्रकृति के सुन्दरतम स्वरूप की झलक पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में देखने को मिलती है, वह अभिभूत हो उठता है इसके सौन्दर्य पर। सचमुच पेरियार दुनिया के उन राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जहां वन्य प्राणियों का भरा-पूरा साम्राज्य आपको रोमांचित कर देता है।
पश्चिमी घाट की खूबसूरत पहाडियों से घिरा पेरियार राष्ट्रीय उद्यान 777 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पार्क के बीचोंबीच केरल की सबसे लम्बी पेरियार नदी पर एक कृत्रिम झील बनाई गई है। 26 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली इस झील के चारों ओर घने जंगल पसरे हुए हैं, जहां वन्य प्राणियों की आवाजें जंगल की निस्तब्धता को भंग करती हैं। सन 1973 में पेरियार को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ क्षेत्र में शामिल किया गया। यह भारत के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र का अंतिम टाइगर रिजर्व है। नवीनतम गणना के अनुसार इस समय (1995) यहां 80 बाघ हैं।
कब जायें: मानसूनी बरसात के तीन महीनों को छोडकर पेरियार की यात्रा सितम्बर से मई के मध्य कभी भी की जा सकती है। गर्मी के मौसम में यहां अधिकतम तापमान 29 डिग्री तथा सर्दियों में न्यूनतम तापमान 15.5 डिग्री तक पहुंच जाता है। गर्मियों में सूती और सर्दियों में हल्के गरम कपडों की जरुरत पडती है।
कैसे जायें: पेरियार के लिये निकटतम हवाई अड्डा मदुरई है। आप चाहें तो तिरुअनन्तपुरम अथवा कोचीन की हवाई यात्रा से भी यहां पहुंच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन बोदिनायकानूर 67 किलोमीटर दूर है। वैसे मदुरई, कोचीन अथवा कोट्टायम तक रेल यात्रा के बाद सडक परिवहन के जरिये यहां पहुंचना अधिक सुविधाजनक है। पेरियार दक्षिण भारत के सभी प्रमुख नगरों से सडक मार्ग द्वारा जुडा हुआ है। कोचीन, तिरुअनन्तपुरम, कोट्टायम और मदुरई से यहां के लिये नियमित बस सेवाएं सुलभ हैं।
प्रमुख नगरों से दूरी: तिरुअनन्तपुरम 220 किलोमीटर, कोचीन 200 किलोमीटर, कोडाईकनाल 160 किलोमीटर, मदुरई 145 किलोमीटर, चेन्नई 639 किलोमीटर।
कहां ठहरें: पर्यटकों के लिये पेरियार में ठहरने के लिये आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न प्राइवेट होटल, लॉज और सरकारी विश्राम गृह मौजूद हैं। केरल पर्यटन विकास निगम (केटीडीसी) द्वारा संचालित अरण्य निवास और लेक पैलेस में वातानुकूलित कमरों की सुविधा है। केटीडीसी का पेरियार हाउस, लेक क्वीन, अम्बाडी, वन रानी, होली-डे होम, रानी लॉज आदि में भी ठहरने की समुचित व्यवस्था है। इनके अतिरिक्त वन विभाग की ओर से तन्निकुडी, मुल्लाकुडी और मानकावला में पर्यटकों के लिये रियायती दरों पर आवासीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।
क्या देखें: जल-क्रीडा में मग्न हाथियों को देखना पेरियार का मुख्य आकर्षण है। यहां झील में तैरते हाथी अक्सर नजर आ जाते हैं। गर्मी के मौसम में अपने शरीर को ठण्डक पहुंचाने के लिये बाघ भी झील में कूद पडते हैं। यदि आप भाग्यशाली हैं तो ये दुर्लभ नजारा आपको भी नजर आ सकता है।
हाथी और बाघ के अलावा यहां गौर, चीतल, सांभर, बन्दर, जंगली सूअर और भालू भी पाये जाते हैं।
उद्यान की सैर के लिये हालांकि यहां प्रशिक्षित हाथियों की समुचित व्यवस्था है, लेकिन इस प्रचलित तरीके से घूमने की बजाय मोटर बोट से यहां भ्रमण का एक अलग ही मजा है। झील में नौकायन के दौरान तटवर्ती क्षेत्र में जंगली जानवर खासतौर पर हाथी, गौर और हिरणों के झुण्ड नजर आ जाते हैं। पेरियार में नौकायन के साथ साथ जंगली जानवरों को निहारने का अनुभव सचमुच अनूठा है। अरण्य निवास से प्रातः 7 बजे से सायं 3 बजे तक प्रत्येक दो घण्टे के अन्तराल में यहां सैर के लिये मोटर बोट की सुविधा उपलब्ध है।
पेरियार के इर्द-गिर्द कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें अरूवी क्रीक (16 किलोमीटर), क्रूसोई आइलैण्ड (19 किलोमीटर), मानकावला (10 किलोमीटर), मुल्लकुडी (29 किलोमीटर), पवारासू (19 किलोमीटर) और पेरियार बांध (12 किलोमीटर) आदि प्रमुख हैं। यदि आपके पास पर्याप्त समय हो तो उक्त स्थलों की सैर अवश्य करनी चाहिये। इन स्थलों की ओर जाते समय रास्ते में आपको नारियल, रबड, कॉफी और कालीमिर्च के बागान भी देखने को मिलेंगे।
कुल मिलाकर पेरियार की यात्रा एक अनूठा अनुभव है। हरियाली और पानी से घिरी इस जगह की शान ही निराली है।

लेख: अनिल डबराल (हिन्दुस्तान में 26 नवम्बर, 1995 को प्रकाशित)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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