रविवार, जून 12, 2011

नीमराना फोर्ट पैलेस

लेख: उपेन्द्र स्वामी

नीमराना फोर्ट हैरीटेज रिसॉर्ट के रूप में इस्तेमाल आ रही भारत की सबसे पुरानी ऐतिहासिक इमारतों में से है। यह महल 1464 में बना था यानी लगभग साढे पांच सौ साल पहले। नीमराना की सबसे खास बात है इसकी दिल्ली से नजदीकी। यह दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से महज सौ किलोमीटर दूर है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर दिल्ली से निकलने के बाद राजस्थान की सीमा में घुसने पर शाहजहांपुर से थोडा ही आगे नीमराना पडता है। नीमराना फोर्ट मुख्य सडक से थोडा (चार-पांच किलोमीटर) अन्दर जाकर है। इसकी यही नजदीकी इसे दिल्ली व आसपास के इलाकों के लोगों के लिये सप्ताहांत बिताने का बेहद आलीशान स्थान मुहैया कराती है। देवीगढ और सामोद की ही तरह नीमराना भी अरावली की पहाडियों में स्थित है। दरअसल अरावली की पहाडियां ही इन सब रिसॉर्ट को मौसम के लिहाज से एक विशिष्टता प्रदान करती हैं। वही प्रकृति के बीचोंबीच इनकी मौजूदगी शहरों की आपाधापी से बहुवांछित सुकून भी दिलाती है। और अगर यह सुकून इतने राजसी अंदाज में मिले तो उसका क्या कहना।

नीमराना ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इसे पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था। पृथ्वीराज की 1192 में मोहम्मद गौरी के साथ जंग में मौत हो गई थी। चौहान वंश के राजा राजदेव ने नीमराना को चुना लेकिन यहां पर निमोला मियो नामक बहादुर शासक का शासन था। लेकिन जब चौहानों से जंग में वह हार गया तो उसने अनुरोध किया कि उस जगह को उसका नाम दे दिया जाये। तभी से इसे नीमराना कहा जाने लगा। इसे 1986 में हैरीटेज रिसॉर्ट के रूप में तब्दील कर दिया गया।

यह विशाल किला तीन एकड इलाके में पहाडी काटकर बनाया गया है। इस तरह महल में नीचे से ऊपर जाना पहाडी चढने के समान है। इसी से महल में दस मंजिलें हो गई हैं। लेकिन इस बनावट ने इस हैरीटेज रिसॉर्ट को बेहद आकर्षक शक्ल दे दी है। देवीगढ व सामोद के उलट नीमराना की भीतरी साज-सज्जा में काफी छाप अंग्रेजों के दौर की भी देखी जा सकती है। दिल्ली से नजदीकी इसका कारण कही जा सकती है। फिर भी यह है बेहद कलात्मक। ज्यादातर कमरों की अपनी अलग बालकनी है जो आसपास की प्रकृति का पूरा नजारा आपको देती है। कमरे खुले-खुले हैं, यहां तक कि बाथरूम तक में आपको बाहर के हरे-भरे नजारे मिल जायेंगे। दस मंजिलों पर कुल 50 कमरे इस रिसॉर्ट में हैं।

नजारा महल और दरबार महल में कांफ्रेंस हॉल हैं। रेस्तरां कई हैं। नाश्ते के लिये राजमहल व हवा महल तो खाने के लिये आम खास, पांच महल, अमलतास, अरण्य महल, होली कुण्ड व महा बुर्ज वगैरह। राजसी वैभव की छाप आपको हर कदम पर मिलेगी। किराये भी आपकी पहुंच में- डेढ हजार रुपये प्रति व्यक्ति प्रति रात्रि से लेकर 18 हजार रुपये तक। हर कमरे का नाम अलग है- देव महल से लेकर गोपी महल तक। नीमराना की एक खास बात यह है कि यहां कमरे केवल दिनभर के इस्तेमाल के लिये भी मिल जाते हैं और अगर आप खाली सैर करना चाहें तो मामूली शुल्क देकर दो घण्टे के लिये आप महल में सार्वजनिक इलाकों में घूम भी सकते हैं। आसपास के इलाकों के लिये यह बडे मजे की बात है।

यह लेख दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में 31 अगस्त 2008 को प्रकाशित हुआ था।

आप भी अपने यात्रा वृत्तान्त और पत्र-पत्रिकाओं से यात्रा लेख भेज सकते हैं। भेजने के लिये neerajjaatji@gmail.comका इस्तेमाल करें। नियम व शर्तों के लिये यहां क्लिक करें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें