सोमवार, जून 06, 2011

हैदराबाद- फिल्म सिटी बनी पर्यटन स्थल

लेख: प्रदीप शर्मा स्नेही

पुरातात्विक धरोहरों की दृष्टि से हैदराबाद, विश्व भर में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यहां का सभी कुछ अद्वितीय है। इन दर्शनीय स्थलों में लगभग डेढ दशक पूर्व एक नाम और जुडा ‘रामोजी फिल्म सिटी’। इस जादुई फिल्म सिटी से फिल्म प्रेमियों और निर्माता-निर्देशकों के साथ-साथ आम पर्यटकों का भी गहरा रिश्ता जुड गया है।
हैदराबाद के हयातनगर क्षेत्र में स्थित रामोजी फिल्म सिटी अदभुत कल्पनाशीलता का उत्कृष्ट उदाहरण है। 2000 एकड के विस्तृत क्षेत्र में फैला यह कल्पनालोक आज विश्व भर में अग्रणी है। रामोजी फिल्म सिटी ने तो तकनीक सुविधाओं की दृष्टि से हॉलीवुड को पीछे छोड दिया है। विश्व की सबसे बडी फिल्म सिटी के रूप में रामोजी फिल्म सिटी का नाम ‘गिनीज बुक’ में दर्ज हो गया है। जाहिर है, हैदरानाद आने वाले पर्यटकों का प्रमुख गंतव्य रामोजी फिल्म सिटी भी होता है। हर साल दस लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं।

रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना का श्रेय आंध्र प्रदेश के शीर्षस्थ फिल्म निर्माताओं में से एक रामोजी राव को जाता है। उनका मकसद निर्माताओं को एक ही स्थान पर फिल्म निर्माण से जुडी सुविधाएं प्रदान करना था। आज यहां फिल्म निर्माण के विश्व स्तरीय उपकरण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। लिहाजा निर्माता-निर्देशकों का स्वर्ग है रामोजी फिल्म सिटी। अब तो हॉलीवुड की फिल्में यहां बनने लगी हैं।

रामोजी फिल्म सिटी की बढती लोकप्रियता को देखते हुए ही इसे बाद में आम जनता के लिये खोल दिया गया। पर्यटकों, विशेषकर बच्चों के लिये विशेष सुविधाएं जुटाई गईं। फिल्म सिटी में पर्यटकों को निजी वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है। वाहनों को मुख्य प्रवेश द्वार से काफी पहले, प्रथम प्रवेश द्वार पर ही छोडना पडता है। यहां से भीतर जाने के लिये फिल्म सिटी की आरामदायक व आकर्षक बसें हर समय उपलब्ध रहती हैं। यात्रा का समय प्रातः 9 बजे से सायं 6 बजे तक है। बडों के लिये 200 रुपये और 12 वर्ष से छोटे बच्चों के लिये 150 रुपये प्रवेश शुल्क है। तीन चार किलोमीटर चलने के पश्चात फिल्म सिटी के मुख्य द्वार पर पहुंचते हैं। मुख्य द्वार तक का मार्ग सुन्दर ढंग से सजाया गया है। मुख्य द्वार से अन्दर प्रवेश करते ही पर्यटक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। वे कल्पना ही नहीं कर सकते कि ऊंची-नीची पथरीली पहाडियों में एक ऐसे अकल्पनीय स्वप्निल संसार की रचना हो सकती है। बसें पर्यटकों को यूरेका जंक्शन पर लाकर छोड देती हैं। यहां से आरंभ होती है इस जादुई नगरी की यात्रा।

यूरेका जंक्शन से सुर्ख लाल रंग की खुली-खुली खिडकियों वाली आरामदायक विशेष प्रकार की बसें उपलब्ध हैं। ये बसें फिल्म सिटी के अलग-अलग खण्डों को दिखाने के लिये भिन्न-भिन्न भागों पर चलती हैं। इनका किराया मूल टिकट में ही शामिल होता है। प्रत्येक बस के साथ एक गाइड होता है। गाइड अपनी मनोरंजक शैली में मार्ग में आने वाले स्थानों की विस्तृत जानकारी पर्यटकों को देते जाते हैं। साथ-साथ वे यहां शूट हुईं फिल्मों की जानकारी भी देते हैं।

रामोजी फिल्म सिटी में व्यक्तिगत खाद्य सामग्री, आग्नेय अस्त्र, मादक पदार्थ व शराब आदि ले जाने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध है। खाने-पीने की सभी सुविधाएं अंदर ही उपलब्ध हैं। पर्यटक दूर से ही बिना अडंगा डाले शूटिंग (अगर चल रही हो तो) देख सकते हैं।

‘यूरेका’ से फिल्म सिटी की यात्रा आरम्भ होती है और यही समाप्त भी होती है। यहां मनोरंजन के कई गुदगुदाने वाले साधनों के साथ-साथ, कहीं मौर्यकालीन गलियारा दिखता है, तो कहीं पाश्चात्य तर्ज पर बनाये गये बाजार के दर्शन होते हैं। कहीं मुगलकालीन सौंदर्य को पर्यटक आत्मसात करते हैं तो कहीं विश्व की विभिन्न शैलियों के मनमोहक उद्यान नजर आते हैं। यूरेका के दायी ओर बच्चों का स्वप्निल संसार है। इसके प्रवेश द्वार पर दादा जिन की विशालकाय मुखाकृति विद्यमान है। इसी में से होकर बच्चे प्रवेश करते हैं। यहां बच्चों के लिये तो मनोरंजन की ढेर सी सामग्री है ही, बडों के लिये भी अपना बचपन लौटाने के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं।

यहां विशालकाय नाव की आकृति बनाई गयी है। इसके तल में कई वीडियो खेल बच्चों का मनोरंजन करने के लिये उपलब्ध हैं। प्रेस्टो नामक खिलौनों की दुकान में ढेर सारे खिलौने लुभाते हैं। बच्चों के लिये यहां छोटी सी रेलगाडी भी है जिसमें स्थित रेस्तरां में बैठकर तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है। नाचते फव्वारे (वैलेरीना फाउंट) व फूलों की घाटी बच्चों को लुभाती है। एक छोटे से सभागार में दिलचस्प नैजिक शो चलता रहता है। बच्चे यहां से लौटना ही नहीं चाहते। उनकी पसंद का सभी कुछ तो है यहां।

विश्व की विभिन्न शैलियों के भव्य उद्यान यहां हैं। यूरेका से कुछ ही दूर पहाडी पर बना भव्य हवा महल व इसकी ढलानों पर हरी घास के मैदान व फूलों के अदभुत संयोजन से सजी-संवरी क्यारियां बरबस मन मोह लेती हैं। निकट ही जापानी पद्धति का उद्यान विकसित किया गया है। बीचोंबीच पैगोडानुमा छतरी निर्मित है। भूदृश्य संयोजन व फूलों की रंगबिरंगी कतारें दर्शनीय हैं। अनेक अन्य शैलियों के भी उद्यान, फिल्म सिटी के सौन्दर्य में चार चांद लगा रहे हैं। पाश्चात्य व स्वदेशी उद्यानों व भवनों में वास्तविकता लाने का भरसक प्रयास किया गया है।

अगर ट्रेन के दृश्य फिल्माने हों तो रामोजी रेलवे स्टेशन मुश्किलें हल कर देता है। वास्तविक लगते इस स्टेशन पर टिकट घर, बुक स्टाल, टी स्टाल सभी कुछ तो हैं। फिल्म सिटी में एयरपोर्ट भी है। अलग-अलग एयरलाइंस के काउण्टर, कॉफी शॉप, सुरक्षा जांच केन्द्र, ड्यूटी फ्री शॉप एयरपोर्ट को भव्य स्वरूप प्रदान करते हैं। एक विमान की बडी सी अनुकृति यहां का विशेष आकर्षण है। जब शूटिंग चल रही होती है तो एयरपोर्ट पर्यटकों के लिये बन्द कर दिया जाता है। वरना पर्यटक विमान में बैठकर चित्र खिंचवाते हैं।

फिल्म सिटी में हर तरह से असली लगते अस्पताल है तो कॉलेज भी। एयरपोर्ट से कुछ ही दूर सेंट्रल जेल है। मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा सभी कुछ हैं यहां। बस पुजारी, मौलवी, पादरी व ज्ञानी जी जरुरत पडने पर उपलब्ध हो जाते हैं। चौराहों पर खूबसूरत फव्वारे व कलात्मक मूर्तियां बरबस मन मोह लेती हैं। इन्हें रोचक नाम दिये गये हैं। इनमें सायोनारा (पगोडा), फ्लाइंग किस, हवाई (फव्वारा युक्त आकर्षक उद्यान), सिंधूर लेन (कलात्मक प्रकाश स्तम्भों वाला गलियारा), मैजस्टिक फाउंटेन, प्रिंसेस स्ट्रीट (पाश्चात्य भवन शैली वाली गली) उल्लेखनीय हैं।

यहां एक साथ 15-20 अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों व 30-40 भारतीय फिल्मों के विभिन्न फिल्मांकन स्थलों पर एक साथ फिल्मांकन की सुविधा है। वन्य पशु अभ्यारण्य रामोजी फिल्म सिटी की यात्रा का चरम बिंदु है। ढलामों को सघन वन का रूप देकर उनमें अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न पशुओं की भव्य व सजीव अनुकृतियां स्थापित की गई हैं। इस कृत्रिम वन्य अभयारण्य को देखकर एकबारगी तो आंखें धोखा खा जाती हैं।

रामोजी फिल्म सिटी की मायावी दुनिया में डूबते उतराते पर्यटक पुनः यूरेका जंक्शन लौटते हैं। घूमते-घूमते भूख लग आयी हो तो इसका बेहतरीन इलाज यूरेका स्थित चार भव्य रेस्तराओं के पास है। अवध की शाही मुगलई तरकारियों व व्यंजनों का आनन्द उठाना है तो ‘आलमपनाह’ स्वागत के लिये तैयार है। शुद्ध शाकाहारी भोजन का रसास्वादन करना है तो ‘चाणक्य’ बाहें फैलाये खडा है। महज 80 रुपये की थाली में आप भरपेट अपनी पसंद के व्यंजन खा सकते हैं। मौर्यकालीन वेशभूषा में सजे-संवरे वेटर बरबस ध्यान आकृष्ट करते हैं। ‘गन स्मोक’ फास्ट फूड के शौकीनों की हसरत पूरी करता है। यहां नाना प्रकार के पाश्चात्य व्यंजन उपलब्ध हैं। अगर विशुद्ध दक्षिण भारतीय व्यंजनों से सजी थाली का मजा लूटना हो तो ‘गंगा जमुना’ आपकी अगवानी के लिये तैयार है।

पेट पूजा के बाद ‘यूरेका वाइल्ड वेस्ट’ की सैर का अलग ही आनन्द है। यहां सभी कुछ यूरोपियन शैली में है। दुकानें, भवन, सभी कुछ। बीचोंबीच गोलाकार मैदान में नृत्य मण्डलियां नृत्य करती हैं। यूरेका स्थित दुकानों से पर्यटक स्मृति चिन्ह खरीदते हैं। व्यूकार्ड्स, कांच की कलाकृतियां व हस्तशिल्प की कलाकृतियां पर्यटकों को खूब भाती हैं। रामोजी फिल्म सिटी में पर्यटकों व फिल्म निर्माण से जुडे लोगों के रुकने के लिये ‘सितारा’ व ‘तारा’ दो आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त होटल हैं। कारपोरेट जगत की भव्य पार्टियां यहां की शान हैं। ‘सितारा’ थोडा महंगा है जबकि ‘तारा’ मध्यम वर्ग की जेबों का ख्याल रखता है।

फिल्म निर्माण से जुडी विश्व स्तरीय सुविधाएं एक ही स्थान पर जुटाने का जो सपना रामोजी राव ने सालों पहले देखा था वह ‘रामोजी फिल्म सिटी’ के रूप में साकार हो उठा है। 6000 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाला यह जादुई फिल्मी शहर लाखों पर्यटकों के दिलों की धडकन बन गया है।

कब, कैसे और कहां

हैदराबाद किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। बारिश में भीगने से बचना चाहते हों तो मानसून के खत्म होने का इंतजार कर लें। हैदराबाद रेल, बस व हवाई मार्ग से देश के सभी हिस्सों से जुडा है। हैदराबाद से 20 किलोमीटर दूर रामोजी फिल्म सिटी जाने के लिये आंध्र टूरिज्म की बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं। अन्दर की यात्रा फिल्म सिटी की बसों में ही करनी होती है। हैदराबाद में हर बजट के लिये होटल उपलब्ध हैं। यूं तो दिनभर में फिल्म सिटी घूमकर हैदराबाद लौटा जा सकता है लेकिन बजट इजाजत दे तो फिल्म सिटी की दो होटलों में भी ठहरा जा सकता है।

यह लेख दैनिक जागरण के यात्रा परिशिष्ट में 29 जून 2008 को प्रकाशित हुआ था।

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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुना तो है, एक बार देखना भी है।

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  2. Philhaal rate 600 Rs /adult hai.abhi pichhle saal hi wahan gaya tha

    http://travelwithmanish.blogspot.com/2011/06/blog-post.html

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  3. Ramoji film city Hyderabad ki hi nahi pure poore dakshin Bharat ki shaan hai.Bahar aur Bharat ke doosare pranto se aane wale lagbhag har yatri is ramaniya prakrutik roop se saje manoram sthal ko jaroor dekhkar prassana hote hai.

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  4. Bahut sundar shahar aur uski shaan hai ramoji film city

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