मंगलवार, फ़रवरी 07, 2012

पुदुचेरी

चेन्नई से 162 किलोमीटर दूर पांडिचेरी 1954 में भारत का हिस्सा बना। इसके तहत चार मध्यकालीन बस्तियां पांडिचेरी, कराईकल, माहे और यनम शामिल हैं। कोरोमण्डल तट पर स्थित इस नगर ने कई उतार-चढाव के साथ साथ अलग-अलग साम्राज्यों को भी देखा है। वहां कभी पल्लव वंश का तो कभी चोल वंश का शासन रहा। अंत में वहां फ्रांसीसियों की सरकार बनी। 492 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस नगर और यहां के लुभावने घर, बगीचे और फ्रांसीसी शैली में बने होटल इस बात के गवाह हैं कि फ्रांस की संस्कृति यहां कितनी रची बसी हुई है। यहां की खूबसूरत हवेलियों पर हाथीदांत के रंग की दीवारों पर झूलते बोगनवेलिया दिखाई देते हैं। यह ऐसा अदभुत नगर है जहां 55 भाषाएं बोली जाती हैं। यहां चर्च के साथ मन्दिर भी बडी संख्या में हैं। पांडिचेरी में अंतर्राष्ट्रीय योग उत्सव, पोंगल, मासिमगम, विलयानूर मन्दिर का कार उत्सव, वैस्टाइल डे, खाद्योत्सव आदि काफी धूमधाम से मनाये जाते हैं। फ्रांसीसी कालोनी होने के कारण यहां फ्रेंच भाषा प्रमुख तौर से बोली जाती है। यहां की खास साइकिल संस्कृति है जो लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर पर्यटन तक अपनी खास जगह रखती है। अगर सही मायने में पांडिचेरी की रौनक और खूबसूरती का लुत्फ उठाना हो तो कार में बैठकर नहीं बल्कि एक बार साइकिल पर बैठकर देखिये। सभी मुख्य सडकों पर और खासकर अरबिंदो आश्रम के पास ऐसी कई दुकानें हैं जो किराये पर साइकिलें देती हैं। 

श्री अरबिंदो आश्रम: पांडिचेरी का मुख्य आकर्षण श्री अरबिंदो आश्रम है। 1910 से 1950 तक रहे अरबिंदो ने फ्रांसीसी महिला की सहायता से यहां आश्रम की स्थापना की थी। यहां श्री अरबिंदो और श्री मां की संगमरमर की समाधि बनी हुई है। फ्रांसीसी महिला द मदर ने पांडिचेरी के उत्तर में दस किलोमीटर दूर ओरोविल में 1968 में उषा नगरी नाम से विश्व नगरी बसाई, जो देखने योग्य है। इसे सिटी ऑफ डॉन (सूर्योदय का नगर) कहा जाता है। यहां की सैर का आनन्द लेने के लिये साइकिल सबसे अच्छी सवारी है। 

मातृमन्दिर: ओरोविल के मुख्य आकर्षण का केन्द्र मातृमन्दिर है। यह गोल गुम्बद के आकार का है। इसके अन्दर एक ध्यान कक्ष है जिसमें बडा सा क्रिस्टल बॉल रखा गया है। यह सूर्य की रोशनी में खूब चमकता है। 

फ्रेंच इंस्टीट्यूट: इस संस्थान की शोहरत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है जो यहां के डूमास स्ट्रीट पर है। यहां विज्ञान, भारतीय संस्कृति आदि से सम्बन्धित कई पुस्तकें उपलब्ध हैं। 

संग्रहालय: बीच के सामने स्थित संग्रहालय में कई तरह के ऐतिहासिक सिक्के देखने को मिलते हैं। ड्यूप्ले द्वारा इस्तेमाल की गई पालकी और बिस्तर भी यहां प्रदर्शन के लिये रखे गये हैं। पांडिचेरी का सागरतट बहुत ही खूबसूरत है। महात्मा गांधी और यहां पांडिचेरी के पूर्व गवर्नर ड्यूप्ले की मूर्ति सहित वार मेमोरियल आकर्षण का मुख्य केन्द्र हैं। 

आयी मंडप: यहां का जाना-माना स्मारक है यह। इसे फ्रांस में नेपोलियन द्वितीय के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इसका नाम 16वीं शताब्दी की एक वेश्या ‘आयी’ के नाम पर पडा। 

आनंद आश्रम: आनंद आश्रम को अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र के नाम से जाना जाता है। पांडिचेरी सरकार हर वर्ष चार से सात जनवरी तक अंतर्राष्ट्रीय योग उत्सव मनाती है। 

बोट हाउस: चुन्नाम्बर पांडिचेरी से 8 किलोमीटर दूर चुन्नाम्बर नदी पर बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है। कल-कल बहता पानी और नदी के दोनों छोरों पर बिखरी हरीतिमा के बीच जल में सैर करना अलग ही अनुभव देता है। बोट सप्ताह में किसी भी दिन किराये पर ली जा सकती है। 

इसके अलावा 27 मीटर ऊंचा लाइट हाउस जो 150 साल पुराना है, देखने योग्य है। साथ ही, पांडिचेरी में जॉन ऑफ आर्क की प्रतिमा, प्रथम विश्वयुद्ध का स्मारक, राजभवन उद्यान, वनस्पति उद्यान, भरतियार मन्दिर के अलावा कई गिरजाघर दर्शनीय हैं। 

राष्ट्रीय सहारा में 10 अक्टूबर 2010 को प्रकाशित

1 टिप्पणी:

  1. नीरज जी सुबह सुबह का समय अच्छा है पोस्ट करने के लिये वाकई में बहुत अच्छी जानकारी देने का ब्लाग और प्रयास है आपका । मै जब घूमने जाता हूं तो ज्यादा गहराई में नही जाता इतिहास की । पर अब लगता है कि इतनी अच्छी जानकारी है कि ऐसे ही अपनी पोस्ट में लिंक जोड दूं पर कैसे ? बताईयो

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