मांडू मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित खूबसूरत एवं ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। यह इंदौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, जो विन्ध्य पहाडियों में 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मूलतः मालवा के परमार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। तेरहवीं सदी में मालवा के सुल्तानों ने इसका नाम शादियाबाद यानी ‘खुशियों का शहर’ रख दिया था। वास्तव में, यह नाम इस जगह को सार्थक करता है। यहां के दर्शनीय स्थलों में जहाज महल, हिंडोला महल, शाही हमाम और आकर्षक नक्काशीदार गुम्बद वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। परमार शासकों द्वारा निर्मित इस नगर में जहाज और हिंडोला महल खास हैं, जिनकी वास्तुकला देखने लायक है। मांडू की छोटी छोटी पहाडियों पर बने किलों को देखकर प्रतीत होता है जैसे जादुई विन्ध्य पर्वतमालाएं इनकी जादू की झप्पी ले रही है। मांडू का मनोहर नजारा सैलानियों के साथ साथ ऐतिहासिक धरोहरों व इमारतों को देखने, इन्हें नजदीक से देखने की इच्छा रखने वालों को भी खासा आकर्षित करता है। ऐसी जगह जहां के वातावरण में आनन्द, शान्ति व प्यार का आभास होने के साथ खूबसूरती के कई पहलुओं का मजा भी लिया जा सकता है।
मांडू अपने भीतर इतिहास के कई राज समेटे हुए है। यहां की बडी बडी इमारतें जो अब खंडहर में तब्दील हो गई हैं, इन्हें देखने पर आज भी एहसास दिलाती हैं जैसे वृहद साम्राज्य आंखों के सामने दिखाई दे रहा हो। हरियाली की चादर ओढे छोटी छोटी पहाडियां, झरने, मवेशी व गहनों से सजे-धजे रंग-बिरंगे कपडे पहने धार के आदिवासी बरबस ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। यदि आप बस से यहां आयेंगे तो रास्तों के दोनों तरफ छोटी-बडी कई जर्जर इमारते नजर आयेंगी। इन इमारतों पर उगी घास व जर्जरता इन्हें और खूबसूरत बनाते हैं। इनमें से एक रानी रूपमति का महल पहाडी की ऊंचाई पर है। कहते हैं कि रानी रूपमति सुबह में यहां से नर्मदा नदी के दर्शन करती थीं। यहां की इमली, कमलगट्टे और सीताफल बहुत प्रसिद्ध हैं। स्वाद, आकार व बनावट में यह इमली काफी अलग सी होती है।
आकर्षण
दरवाजे: 45 किलोमीटर लम्बी दीवारों की मुंडेर मांडू को घेरे हुए है, मांडू में प्रवेश करने के लिये उसमें 12 दरवाजे हैं। मुख्य रास्ता दिल्ली दरवाजा कहलाता है। दूसरे दरवाजे में रामगोपाल, जहांगीर और तारापुर दरवाजा शामिल है।
जहाज महल: सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित जहाज महल को दो मानवनिर्मित तालाबों के बीच बनाया गया है। देखने में यह जहाज के आकार का है, शायद इसीलिये इसका नाम जहाज महल पडा। यह दोमंजिला महल संगमरमर से बना है, जिसे देखकर प्रतीत होता है कि यह पानी के ऊपर तैर रहा है।
हिंडोला महल: टेढी व एक तरफ झुकी हुई दीवारों के कारण इस महल को हिंडोला महल कहते हैं। इसका निर्माण 1425 में होशंगशाह के शासन के दौरान हुआ था। इसे दर्शक कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
जामी मस्जिद: दमिश्क की बेहतरीन मस्जिद से प्रेरित यह मस्जिद अपनी विशालकाय संरचना, सादगी और वास्तुकला के लिये मशहूर है। इसमें मौजूद बडा सा आंगन और भव्य प्रवेश द्वार भी लोगों को लुभाता है। जामी मस्जिद की सीढियां उस समय की वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इसके अलावा होशंगशाह की मस्जिद, नहर झरोखा, बाज बहादुर महल, रानी रूपमति महल, रेवा कुण्ड और नीलकंठ महल भी देखने लायक जगहें हैं। यहां सितम्बर-अक्टूबर में गणेश चतुर्थी भी बडी धूमधाम से मनाई जाती है।
कब जायें
मांडू में सालभर उष्णकटिबंधीय जलवायु रहती है, इसलिये गर्मी हो या सर्दी, आप कभी भी यहां अपनी छुट्टियां बिता सकते हैं। सर्दियों में यहां का तापमान 22 डिग्री होता है। जुलाई से मार्च यहां जाना चाहिये।
कैसे जायें
सडक मार्ग: अलग-अलग शहरों से यहां आसानी से बस से पहुंच सकते हैं। मांडू और इंदौर के लिये धार से होते हुए, मांडू और रतलाम तथा मांडू और भोपाल से बसें चलती हैं।
हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर है। इंदौर हवाई अड्डे से मुम्बई, दिल्ली, ग्वालियर और भोपाल तक कई हवाई जहाज उडान भरते हैं।
रेल मार्ग: दिल्ली-मुम्बई मुख्य लाइन पर रतलाम सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। ट्रेन से इंदौर पहुंचकर मांडू की यात्रा टैक्सी या बस से कर सकते हैं।
लेख: अंशुमाला (राष्ट्रीय सहारा में 20 नवम्बर 2011 को प्रकाशित)
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