आन्ध्र प्रदेश के दक्षिणी छोर पर तिरुमलै-तिरुपति की पवित्र पहाडियों के अंचल में स्थित श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान वन्य जंतु प्रेमियों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। पूर्वी घाट की इन छोटी पथरीली पहाडियों में भले ही बडे पेड और हरियाली का विराट साम्राज्य तो नहीं है, मगर वन्य जन्तुओं की विविधता की दृष्टि से यह किसी दूसरे राष्ट्रीय उद्यान से कम नहीं है।
यह राष्ट्रीय उद्यान 352.62 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पहले यह एक अभयारण्य था। तिरुपति जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के निकट होने के कारण इसे तिरुपति के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर का नाम दिया गया।
कब जायें: यूं तो श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान की सैर बरसात को छोडकर वर्ष पर्यन्त की जा सकती है, मगर अक्टूबर से मार्च का समय पर्यटन के लिये अधिक अनुकूल रहता है। वर्ष भर यहां ठण्ड नहीं पडती इसलिये सर्दियों में भी यहां गर्म कपडे ले जाने की जरुरत नहीं है।
कैसे जायें: श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिये निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन तिरुपति है। तिरुपति चेन्नई, मुम्बई और हैदराबाद से सीधी विमान सेवाओं द्वारा जुडा हुआ है। देश के प्रायः सभी शहरों से इसका सडक सम्पर्क भी है। आन्ध्र प्रदेश पर्यटक विभाग की ओर से भी राज्य के महत्वपूर्ण शहरों से यहां के लिये टूरिस्ट बस सेवाएं सुलभ हैं। तिरुपति से भी श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिये चंद्रगिरि होते हुए एक घण्टे से कम समय लगता है।
प्रमुख नगरों से दूरी: चन्द्रगिरि 20 किलोमीटर, तिरुपति 31 किलोमीटर, चेन्नई 178 किलोमीटर, बंगलौर 252 किलोमीटर, मुम्बई 1183 किलोमीटर।
कहां रहें: श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के आवास के लिये वन विश्राम गृह की सुविधा सुलभ है। आन्ध्र प्रदेश पर्यटन विभाग के निकटतम गेस्ट हाउस चन्द्रगिरि और तिरुपति में हैं जहां वातानुकूलित कमरों की व्यवस्था है। इनके अतिरिक्त प्राइवेट होटल भी हैं।
क्या देखे: यदि आप झाडदार वृक्षों का सौन्दर्य निहारने की चाह रखते हैं तो श्री वेंकटेश्वर नेशनल पार्क इसके लिये एक बेहतरीन जगह है। इस उद्यान में पेडों की बजाय रंग बिरंगी झाडियों का बाहुल्य है और पेडों की ऊंचाई आमतौर पर दस मीटर से अधिक नहीं है। रेड सेंडर यहां की मुख्य वृक्ष प्रजाति है जो आर्थिक दृष्टि से भी अधिक महत्वपूर्ण है।
श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान अनेकानेक वन्य प्राणियों का घर है। बाघ और तेंदुए तो यहां हैं ही साथ ही हिरण, गौर, भालू, सूअर, लोमडी, भेडिया और जंगली कुत्ते भी यहां पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं। स्वच्छंद विचरण करते चीतल, सांभर और काले हिरणों के झुण्ड देखने वालों का मन मोह लेते हैं। बंदरों की एक विशेष प्रजाति बोनिट भी यहां का एक अन्य आकर्षण है।
श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान के इर्द-गिर्द अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश्वर का सुप्रसिद्ध मन्दिर (31 किलोमीटर), चन्द्रगिरि दुर्ग (20 किलोमीटर), होर्सले हिल्स (175 किलोमीटर) और नारायणवनम (67 किलोमीटर) आपकी यात्रा को अविस्मरणीय और परिपूर्ण कर देंगे।
लेख: अनिल डबराल (हिन्दुस्तान में 26 नवम्बर 1995 को प्रकाशित)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से
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