यदि किसी से यह पूछा जाये कि खूबसूरत समुद्री तट, मशहूर गिरजाघर, प्राचीन दुर्ग, मन्दिर और जल-प्रपातों के अतिरिक्त ऐसी कौन सी जगह है जिसे देखे बगैर गोवा की यात्रा पूरी नहीं होती तो यकीनन वह जगह भगवान महावीर नेशनल पार्क ही होगी। गोवा के पूर्वी छोर पर स्थित इस नन्हे से राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति की सुन्दरता को उसके सर्वोत्तम रूप में निहारने का जो सुख मिलता है उसे यहां की सैर से ही महसूस किया जा सकता है।
घने पेडों की छतरी ओढे गोवा का यह इलाका सन 1961 में भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बनने से पूर्व पुर्तगाली उपनिवेशी शासकों का पसंदीदा शिकारगाह था। मनोरंजन के नाम पर यहां निरीह वन्य प्राणियों का जमकर शिकार किया गया। उपनिवेशी शासन से मुक्ति के बाद सन 1967 तक यहां एक अभयारण्य की स्थापना की गई, जिसे मोलम अभयारण्य का नाम दिया गया। सन 1978 में इसी के एक हिस्से में 107 वर्ग किलोमीटर भू-क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की गई। मोलम अभयारण्य का क्षेत्रफल 255 वर्ग किलोमीटर है। इस अभयारण्य का नाम गोवा के प्रस्तावित राष्ट्रीय उद्यानों में दर्ज है। बहरहाल भगवान महावीर राष्ट्रीय उद्यान और मोलम अभयारण्य दोनों एक दूसरे की सीमा से लगे हुए हैं।
कब जायें: पश्चिमी घाट की पहाडियों और अरब सागर के खूबसूरत समुद्री तटों से घिरे गोवा में वर्ष के हर मौसम का अपना आकर्षण है। फिर भी राष्ट्रीय उद्यान की सैर के लिये अक्टूबर से मार्च का मौसम सुखद और मनोरम होता है।
कैसे जायें: गोवा का मुख्य हवाई अड्डा डेबोलिम है जो राष्ट्रीय उद्यान से 80 किलोमीटर की दूरी पर है। डेबोलिम भारत के विभिन्न शहरों से हवाई उडानों से जुडा हुआ है। महावीर राष्ट्रीय उद्यान निकटवर्ती रेलवे स्टेशन कोलम से सिर्फ 5 किलोमीटर के फासले पर है। बंगलौर, बेलगांव, मुम्बई, मिराज, मैसूर, पुणे आदि स्थानों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
प्रमुख नगरों से दूरी: पोंडा 29 किलोमीटर, पणजी 58 किलोमीटर, पुणे 401 किलोमीटर, बंगलौर 534 किलोमीटर, मुम्बई 643 किलोमीटर, हैदराबाद 700 किलोमीटर, दिल्ली 1555 किलोमीटर।
कहां रहें: महावीर राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के आवास के लिये वन विश्राम गृह और पर्यटक कुटीर की समुचित व्यवस्था है। राष्ट्रीय उद्यान के बाहर गोवा के विभिन्न उपनगरों में भी पर्यटकों के ठहरने के लिये पांच सितारा सुविधाओं से लैस होटलों से लेकर बजट में भी बिस्तर पा जाने की सुविधाएं उपलब्ध है।
क्या देखें: पश्चिमी घाट की पहाडियों और हरे-भरे पेडों से परिपूर्ण भगवान महावीर राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक माहौल में जंगली जानवरों को देखना बेहद मनोरंजक है। पर्यटक उद्यान में तेंदुआ, हाथी, भालू और हिरण की कई प्रजातियां देख सकते हैं। जंगल में निर्भय विचरण करती जंगली बिल्लियां भी सुगमता पूर्वक नजर आ जाती हैं। ये घरेलु बिल्लियों से कुछ बडी तथा डरावनी शक्ल वाली होती हैं। उडने वाली गिलहरियां भी भगवान महावीर राष्ट्रीय उद्यान के आकर्षण में शामिल हैं।
लेख: अनिल डबराल (हिन्दुस्तान में 26 नवम्बर 1995 को प्रकाशित)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से
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