गुरुवार, नवंबर 07, 2013

हणोगी माता

लेख: प्रेम एन. नाग
हिमाचल प्रदेश के अलग अलग शोभा वाले अनेक मन्दिरों में से एक है हणोगी माता मन्दिर। राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर मण्डी और कुल्लू के बीच बने पण्डोह बांध से कुछ आगे चलकर ब्यास नदी के दूसरी ओर यह एक पर्वत पर शोभायमान है जिसका सौन्दर्य देखते ही बनता है।
हणोगी नामक स्थान पर स्थित इस मन्दिर में देवी तीन रूपों में विद्यमान है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां अभय राम गुरु रहा करते थे जो तान्त्रिक विद्या में निपुण थे। वह अपनी शक्तियों द्वारा तुंगाधार पर्वत श्रंखला से तुंगा माता को हणोगी में लाये। इस देवी को ‘तुंगाधार की जोगणी’ के नाम से भी जाना जाता है। हणोगी में काली माता का प्राचीन मन्दिर है जहां एक बडी गुफा है। तुंगा माता की पांच हजार वर्ष पुरानी पाषाण मूर्ति इस गुफा में आज भी विद्यमान है। कहा जाता है कि जब तक गुरुजी थे तब तक उन्होंने माता की पूजा अर्चना जारी रखी। उनके पश्चात देवी की पूजा करने वाला कोई भी न था। लिहाजा कई अनहोनी घटनाएं होती रहीं। कालान्तर में आरम्भ हुआ दुर्घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं। छह-सात दशक पहले स्थानीय निवासियों ने इस बात को गम्भीरता से लिया और माना कि ऐसा देवी के प्रकोप के कारण हो रहा है। हणोगी के समीप ही एक पुरानी सडक थी, उस पर अक्सर रास्ता अवरुद्ध हो जाता था। इसी दौरान लोगों को कुछ दैविक चमत्कार दिखाई दिये और एक श्रद्धालु को स्वप्न में माता ने कहा कि यह मेरा स्थान है। फिर क्या था लोगों ने वहां एक वृक्ष को देवी शक्ति का प्रतीक मानकर पूजना आरम्भ कर दिया। यह वृक्ष आज भी ब्यास नदी के किनारे पानी में कुछ डूबा हुआ खडा है।
देवी के दृष्टान्त का क्रम यहीं नहीं टूटा, पुरानी सडक को टूटने से बचाने के लिये जो ठेकेदार दीवार बनाते थे, वह अगले दिन टूटी मिलती थी। अन्त में इस काम को कराने वाले ठेकेदार को माता ने स्वप्न में कहा कि यदि वह नदी के पार अर्थात हणोगी की ओर उनका मन्दिर बनवायेगा तो उसके सब काम सफल होंगे। श्रद्धालु ठेकेदार ने छोटा सा सरस्वती मन्दिर बनवाया।
हाईवे बन जाने के बाद फिर देवी ने कुछ भक्तों को हाईवे के किनारे पर पूजा स्थल बनाने की प्रेरणा दी। यहां भी एक छोटा सा मन्दिर बना जहां लक्ष्मी जी की मूर्ति है। दैवीय चमत्कारों को देखते हुए कुछ स्थानीय लोग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी आगे आये और काली माता के मूल स्थान पर मन्दिर बनाने का काम शुरू किया। आज हणोगी में देवी तीन रूपों में विद्यमान है- तामसिक काली, राजसिक लक्ष्मी और सात्विक सरस्वती।
हणोगी माता मन्दिर न्यास नवरात्रों में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। दोनों समय लंगर, औषधालय, गरीब कन्याओं का विवाह, मोटर से ब्यास नदी पार कराने की सुविधा, बच्चों को पुस्तकें और कपडे, गौ सदन संचालन, सरायों की सुविधा और संस्कृत महाविद्यालय का संचालन आदि कार्य मन्दिर न्यास द्वारा किये जाते हैं।

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