शनिवार, मार्च 10, 2012

वन्य पर्यटन- कुछ उपयोगी सुझाव

वन्य पर्यटन अथवा राष्ट्रीय उद्यानों में सैर सपाटा काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। जंगलों की सैर हमें प्रकृति के करीब ले आती है। वन्य जन्तुओं की बहुरंगी दुनिया में पहुंचकर एक नवीन ताजगी का एहसास होता है और अपनी सारी थकान मिटाकर हम खुद को फिर से तैयार कर लेते हैं जीवन की संघर्षमय यात्रा के लिये। 

सामान्य पर्यटन से कई मायनों में अलग है- वन्य पर्यटन। जंगलों में स्वच्छंद विचरण करते पशु-पक्षियों को करीब से देखना बेहद रोमांचक और थोडा जोखिमभरा काम है। अपनी तथा दुर्लभ वन्य जन्तुओं की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय उद्यानों में घूमते-फिरते समय कुछ हिदायतों का पालन करना बेहद जरूरी है। वन-यात्रा के दौरान नीचे दिये गये सुझावों को ध्यान में रखें, तभी आप अपनी यात्रा का भरपूर लुत्फ उठा पायेंगे।

- देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों में भ्रमण के लिये मौसम के अनुरूप स्थल का चयन कीजिये। मसलन गर्मी के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों का भ्रमण ज्यादा उपयुक्त रहता है।  
- राष्ट्रीय उद्यान अथवा अभयारण्यों में जाने से पूर्व अपने आवास का अग्रिम आरक्षण सुनिश्चित कर लें।
- अभयारण्यों अथवा राष्ट्रीय उद्यानों में आग्नेय हथियार ले जाना निषिद्ध है, भले ही आपके पास अपने हथियार का लाइसेंस ही क्यों न हो।
- राष्ट्रीय उद्यानों में साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, थ्री व्हीलर जैसे वाहनों से घूमने का इरादा छोड दें। इन वाहनों को उद्यान क्षेत्र में ले जाने की अनुमति नहीं है।
- यदि आप पार्क का भ्रमण अपनी कार से करना चाहते हैं तो वाइल्ड लाइफ वार्डन से अनुमति लेने के बाद अपने साथ प्रशिक्षित मार्गदर्शक (गाइड) ले जाना न भूलें।
- कार से पार्क में भ्रमण के समय खिडकियों के शीशे ऊपर चढा लें। हॉर्न न बजायें। जंगल में वाहन से नीचे बिल्कुल न उतरें। वहां पैदल घूमना खतरनाक हो सकता है।
- उद्यानों में रात्रि के समय वाहन चलाने तथा हैड लाइट जलाने की अनुमति नहीं है।
- राष्ट्रीय उद्यानों में डीजल से चलने वाले वाहनों का प्रवेश निषिद्ध है।
- अधिकांश राष्ट्रीय उद्यानों में सडकें कच्ची, ऊबड-खाबड एवं धूल से भरी हैं, इसलिये अपने साथ गीले पेपर, नैपकिन अथवा हाथ के तौलिये अवश्य रखें।
- अपने पालतू जानवरों को घर पर ही रखें। राष्ट्रीय उद्यानों में इन्हें ले जाने की अनुमति नहीं है।
- जंगली जानवरों को किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ खिलाने का प्रयास न करें। ऐसा करना जुर्म है।
- रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेप अथवा संगीत वाद्य यंत्रों को उद्यान क्षेत्र में बजाने की अनुमति नहीं है। दरअसल इन्हें बजाने से जंगली जानवरों की शान्ति में खलल पडता है।
- अभयारण्यों में भ्रमण के दौरान जहां तक सम्भव हो सके, बीडी, सिगरेट अथवा सिगार आदि न पीएं। माचिस की जलती हुई तीली अथवा बीडी-सिगरेट के जलते हुए टुकडे से जंगल में आग लग सकती है।
- यदि आप राष्ट्रीय उद्यान में फोटोग्राफी अथवा फिल्मांकन करना चाहते हैं तो सम्बन्धित अधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करें। याद रखिये, पार्क क्षेत्र में आप फ्लैश लाइट का प्रयोग नहीं कर सकते, इसलिये अपने साथ उच्च गति (हाई स्पीड) फिल्में ले जायें।
- उद्यान में किसी भी किस्म के भुगतान की रसीद अवश्य ले लें।
- राष्ट्रीय उद्यानों में भ्रमण के लिये सम्भवतः हाथी ही सबसे उपयुक्त सवारी है। देश के अनेक राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों को पार्क में घुमाने के लिये हाथियों की व्यवस्था है। इस सुविधा का उपयोग करें। खासतौर पर बच्चों को तो हाथियों से सैर जरूर करायें।
- जहां तक सम्भव हो सके, जंगल में तडक-भडक वाले रंगीन कपडे न पहनें। खाकी, भूरा, बादामी, सलेटी, कत्थई अथवा धानी रंग वन-भ्रमण के लिये उपयुक्त है। तेज रंग के कपडों को देखकर जानवर चौंक उठते हैं और दूर भाग जाते हैं।
- जूते और कपडे ऐसे हों, जिन्हें पहनकर दूर तक चला या दौडा जा सके।
- राष्ट्रीय उद्यानों की झील, नदी अथवा तालाब आदि में तैरने की चेष्टा न करें।
- अपने साथ दूरबीन भी ले चलें, जानवरों के निरीक्षण के लिये यह एक उपयोगी यंत्र है।
- वन्य-प्राणियों की अलार्म कॉल सुनें। उनकी आवाज से अंदाजा लगायें कि वे किस जगह पर मौजूद हैं और उनका मूड कैसा है। - जानवरों के पैर अथवा खुरों के निशान से भी पता लगाया जा सकता है कि जानवर उस क्षेत्र से कब गुजरे और अब वे कहां होंगे।
- वन-भ्रमण को जाते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी रखना न भूलें।
- वन्य जन्तुओं को देखने का सबसे उपयुक्त समय प्रातः और सायंकाल है।
- जल-स्रोतों के इर्द-गिर्द बने मचानों से भी जंगली जानवरों को देखने का आनन्द लिया जा सकता है।
- अनेक राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों को वन्य जीवन से सम्बन्धित स्लाइड एवं फिल्में दिखाने की व्यवस्था रहती है। ऐसे शो अवश्य देखें।
- चिप्स, पान मसाला के रैपर या प्लास्टिक की थैलियों को जंगल में न फेंकें।
- राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य बस्ती से दूर स्थित होते हैं। हो सकता है कि जरुरत पडने पर आपको डाक्टर उपलब्ध न हो सके, इसलिये छोटी मोटी दवाईयां जैसे क्रोसीन, एस्पिरीन, इलैक्ट्रोल, पुदीन हरा, एंटीसेप्टिक क्रीम, बैंडेज, आयोडेक्स वगैरह अपने साथ रख लें।
- हाथी के हौदे से या अपने वाहनों से पार्क का चक्कर लगाकर वन्य प्राणियों को देखने वालों में अधिकांश की रुचि मात्र शेर या बाघ को देखने में ही होती है और यदि ये नजर न आयें तो पार्क बेकार! लेकिन यह धारणा ठीक नहीं है। याद रखिये अभयारण्य चिडियाघर नहीं है, जहां छोटे से बाडे में आपको शेर या अपना मनपसन्द जानवर चहलकदमी करता हुआ मिल जायेगा। भई, जंगल का शेर तो अपनी मर्जी का मालिक है। उसे आपके आने अथवा न आने से क्या! धैर्य रखिये और शेर की तलाश में घूमते हुए पेड-पौधों, नदी-नालों और दर्जनों किस्म के पंछियों के सौन्दर्य का अवलोकन करते रहिये।
- बडे राष्ट्रीय उद्यानों में भ्रमण के लिये कम से कम दो दिन का समय अवश्य रखें। अपनी यात्रा से बहुत अधिक अपेक्षा न रखें। यदि आप ऐसा समझते हैं कि उद्यान में मौजूद सभी प्रजातियों के पशु-पक्षी आपको एक ही दिन में नजर आ जायेंगे तो निराशा हाथ लगना निश्चित समझिये। अवश्य ही अधिक से अधिक जानवर देखने की आशा रखें, किन्तु यदि किसी वजह से यह उम्मीद पूरी न हो तो इसको सामान्य लें।
- जब कभी भी आप राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य की सैर से लौटें तो वहां से कुछ ज्ञान लेकर आयें। अपने मित्रों और परिचितों में अपना अनुभव बांटे। उन्हें वन्य जन्तुओं के संरक्षण के लिये प्रेरित करें।

लेख: अनिल डबराल (26 नवम्बर 1995 को हिन्दुस्तान में प्रकाशित)
सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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