बुधवार, मार्च 07, 2012

कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान- वन फूलों से महकता हसीन उद्यान

हिमाच्छादित पहाडियों, हरी-भरी घाटियों, इठलाती-बलखाती नदियों, जंगली फूलों और ऊंचे दरख्तों के इर्द-गिर्द मंडराते वन्य प्राणियों की एक जीवन्त दुनिया का नाम है- कंचनजंगा (स्थानीय नाम: खंग-चंग जौंगा) नेशनल पार्क। 

सिक्किम के उत्तरी छोर पर स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन 1977 में की गई। यह 850 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। प्रकृति की अपूर्व छटा से परिपूर्ण इस राष्ट्रीय उद्यान में 47 अत्यन्त संकटापन्न जातियों के पशु-पक्षी निवास करते हैं। कुदरत ने इस स्थल को बडी खूबसूरती से संवारा है। 

इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण हिमालय की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा के नाम पर किया गया है, जो इसी क्षेत्र में है। प्रतिबन्धित क्षेत्र होने के कारण विदेशी पर्यटकों के लिये फिलहाल कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश की अनुमति नहीं है। 

कब जायें: उपयुक्त मौसम की दृष्टि से कंचनजंगा नेशनल पार्क की सैर के लिये अक्टूबर से दिसम्बर तथा फरवरी से मई का समय सबसे उपयुक्त है। यहां की जलवायु ठण्डी है। इसलिये यात्रा के लिये पर्याप्त गरम कपडे ले जाने चाहिये। 

कैसे जायें: निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है जो दिल्ली, गुवाहाटी और कोलकाता से नियमित वायु सेवा से जुडा हुआ है। रेल से आने वाले यात्रियों के लिये न्यू जलपाईगुडी निकटतम रेलवे स्टेशन है। देश के प्रायः सभी मुख्य मार्गों से रेलें न्यू जलपाईगुडी आती हैं। यहां से थोडी ही दूरी पर स्थित सिलिगुडी से सिक्किम राज्य परिवहन की बसों, प्राइवेट टैक्सियों से गंगटोक आना चाहिये। वहां से कंचनजंगा पहुंचने के लिये राज्य पर्यटन विभाग की ओर से टूरिस्ट कार की व्यवस्था है। इसके अलावा प्राइवेट टैक्सियां भी हमेशा उपलब्ध रहती हैं। 

महत्वपूर्ण नगरों से दूरी: गंगटोक 98 किलोमीटर, न्यू जलपाईगुडी 221 किलोमीटर, बागडोगरा 222 किलोमीटर, गुवाहाटी 722 किलोमीटर, कोलकाता 818 किलोमीटर, दिल्ली 1724 किलोमीटर। 

कहां रहें: कंचनजंगा नेशनल पार्क में ठहरने के लिये छोटे-छोटे और खूबसूरत वन विश्राम गृह बने हुए हैं। इनमें अधिकतम 16 व्यक्तियों के लिये आवासीय सुविधाएं उपलब्ध है। इसके लिये सहायक वन्य जन्तु अधिकारी कार्यालय से आरक्षण करा लेना चाहिये। 

क्या देखें: प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिये स्वर्ग के समान सुन्दर इस उद्यान में हिम तेंदुआ, बादली तेंदुआ, लाल पांडा, थार, कस्तूरी मृग, भरल, थाकिन, घूरल, सीरो और जंगली गधे जैसी अत्यन्त दुर्लभ वन्य प्रजातियां अपने प्राकृतिक रूप में देखी जा सकती हैं। पार्क की सैर के दौरान भालुओं से भी आपकी मुलाकात हो सकती है। 

कंचनजंगा नेशनल पार्क में ऊंचाई पर निवास करने वाली अत्यन्त खूबसूरत और दुर्लभ प्रजातियों के मोनाल, टूगोपान और हिममुर्गी जैसे बडे पंछी भी निवास करते हैं। इन रंग-बिरंगी पक्षियों की एक झलक मात्र से यहां की यात्रा सार्थक हो जाती है। 

लेख: अनिल डबराल 
सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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