शुक्रवार, दिसंबर 16, 2011

माउंट आबू- झील में अपना सौन्दर्य निहारती सैरगाह

माउंट आबू राजस्थान का एक बहुत महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। प्राकृतिक खूबसूरती से भरा-पूरा यह स्थान प्रत्येक पर्यटक का मन मोह लेता है। गुजरात के सैलानियों के लिये तो यह विशेष आकर्षण है। इतिहास में भी यह अनेक कारणों से चर्चित रहा है। यहां का वन्य जीवन अत्यन्त मोहक और लुभावना है। आबू मन्दिरों और कला का केन्द्र है और यहां देखने के लिये कलात्मक मन्दिर, अजायबघर, कला दीर्घा, खूबसूरत बाग आदि अनेक स्थान हैं।

आबू में बांस, ताड, आम, अमलतास, गुलमोहर, खजूर, गुलहड, बोनवेलिया, ओक, कनेर तथा केवडा आदि के पेड बहुतायत में हैं। इनके अतिरिक्त चारों ओर जूही के फूल खिले हुए दिखाई देते हैं।

उदयपुर से मात्र 185 किलोमीटर दूर आबू का निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है। यहां से माउंट आबू 27 किलोमीटर दूर है और यहां बस व टैक्सियां उपलब्ध रहती हैं। माउंट आबू के लिये लगभग सभी प्रमुख नगरों से बस सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां सितम्बर से मध्य जून के बीच का समय पर्यटन के अनुकूल है।

दिलवाडा के मन्दिर

आबू से चार किलोमीटर दूर दिलवाडा का प्रसिद्ध जैन मन्दिर है। ये संगमरमर पर सुन्दर कलात्मक चित्रकारी के लिये विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। अगर भारत में जैन स्थापत्य कला को देखना हो तो ये मन्दिर बेहतरीन मिसाल साबित होंगे। इन मन्दिरों में ‘विमल वसाही’ सबसे पुराना मन्दिर है। सन 1031 में निर्मित यह मन्दिर सबसे पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित किया गया है।

नक्की झील

माउंट आबू की नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊंची और मनोरम झील है। ऐसा कहा जाता है कि इसे देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदा था, जिससे इसका नाम नखी पड गया, किन्तु कालान्तर में नक्की में परिवर्तित हो गया। नौका विहार पिकनिक के लिये तो यह बहुत ही सुन्दर जगह है।

झील के चारों ओर अजीब अजीब शक्ल की चट्टानें बिखरी पडी हैं। ऐसी ही एक चट्टान का नाम है टॉड रॉक। इसका आकार मेंढक जैसा छोटा नहीं है, बल्कि कई हाथियों से बडा है। टॉड रॉक की तरह यहां की नन रॉक भी बहुत मशहूर है। नन रॉक घूंघट निकाली हुई युवती की तरह लगती है। इसके अलावा यहां पर कई अनोखी गुफाएं भी हैं। इनमें चम्पा गुफा, हाथी गुफा और राम झरोखा गुफा आदि प्रसिद्ध गुफाएं हैं।

लवर्स रॉक

सनसेट प्वाइंट के निकट ही दो बडी बडी मानवाकृत चट्टानें प्रेमियों के हृदय में हुलास उत्पन्न करने के लिये पर्याप्त हैं। ये दो चट्टानें इस प्रकार एक-दूसरे से गुंथी हुई हैं, जैसे दो प्रेमी आलिंगनबद्ध हो एक दूसरे में खोये हुए हों। इसीलिये यह चट्टान लवर्स रॉक कहलाती है।

हनीमून प्वाइण्ट

यह नवविवाहित दम्पतियों के लिये उपयुक्त स्थान है। यहां पर्यटन विभाग द्वारा घने पेडों के झुरमुट में छोटी छोटी झोंपडियों का निर्माण किया गया है। सूर्योदय के समय लालिमापूर्ण ऊषा एवं सात रंगों के बीच से उभरते सूर्य को देखकर नैसर्गिक आनन्द की अनुभूति होती है।

सनसेट प्वाइण्ट

यहां से डूबते सूर्य को देखने पर उसकी किरणों में सातों रंग नजर आते हैं।

गोमुख मन्दिर

आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोमुख शिल्प व मूर्तिकला का बेजोड नमूना है। यहां संगमरमर के गोमुख से एक धारा प्रवाहित होती है, इसलिये इसका नाम गोमुख पडा। इस गोमुखी झरने की विशेषता यह है कि पहाडी की करीब 700 सीढियां उतरने के दौरान पूरी पहाडी में फैले आम व पलास के वृक्षों के बीच से गुजरना बडा आनन्ददायक लगता है।

गुरु शिखर

आबू शहर के निकट अरावली पहाडियों के सर्वोच्च शिखर गुरु शिखर पर दत्तात्रेय मन्दिर है, जिसके द्वार पर शताब्दियों पुराना भारी घण्टा टंगा हुआ है। यहां से आसपास के प्राकृतिक दृश्यों को निहारा जा सकता है।

ट्रैवर्स टैंक

इस तालाब को ट्रैवर नामक इंजीनियर ने बनवाया था, इसलिये इसका नाम ट्रैवर्स टैंक पडा। रमणीक पहाडियों से घिरे इस तालाब पर दूर-दूर से पक्षी आते हैं।

अचलगढ

आबू से 11 किलोमीटर दूर अचलेश्वर महादेव का शिव मन्दिर है, जिसमें काफी रोचक मूर्तियां हैं। इनमें शिव का पैर, पीतल का बना उनका बैल नन्दी इत्यादि विशेष दर्शनीय हैं। इसके बाहर तालाब के किनारे तीन पत्थर निर्मित भैंसों तथा उनका वध करते हुए एक राजा की प्रतिमाएं हैं। इस सम्बन्ध में एक किंवदन्ती है कि यह तालाब कभी घी से भरा हुआ था, लेकिन कुछ राक्षस भैंसों का रूप धरकर इसे रात में पी जाते थे, इसलिये राजा ने उनका वध कर दिया।

आबू के आसपास इन बहुत से दर्शनीय स्थलों पर राजस्थान राज्य परिवहन निगम की बस, टैक्सी, कार द्वारा पहुंचा जा सकता है। ये बसें प्रातः सात बजे एवं दिन में नौ बजे प्रस्थान करती हैं और मुख्य-मुख्य स्थानों पर ले जाती हैं।

कैसे जायें?

आबू जाने के लिये रेल द्वारा अहमदाबाद होकर या फिर अजमेर और उदयपुर होकर जाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न शहरों से बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। आबू रोड रेलवे स्टेशन अहमदाबाद से 186 किलोमीटर तथा अजमेर से करीब 400 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन के बाहर ही आबू पर्वत जाने के लिये बसें व कार आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

क्या खरीदें?

राजस्थान के अन्य शहरों की तरह यहां भी राजस्थानी खिलौने, हस्तकला, सफेद धातु एवं लकडी व पीतल की वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। राजस्थान रोड पर राजस्थान इम्पोरियम की आभूषणों की दुकानों से आभूषण खरीदे जा सकते हैं।

लेख: विशनस्वरूप (हिन्दुस्तान रविवासरीय, नई दिल्ली, 18 मई 1997)

सन्दीप पंवार के सौजन्य से

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